नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की किशोर न्याय समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श का समापन हुआ।
परामर्श में प्रतिभागी हितग्राहियों द्वारा समूह-कार्य के उपरान्त निम्न 04 विषयों पर प्रस्तुतिकरण किये गए।
1- पॉक्सो पीड़ितों का पुनर्वास व पुनरेकीकरण
2– बाल हितैषी न्यायालय प्रक्रिया
3- पॉक्सो प्रकरणों में जांच की प्रक्रिया
4- पॉक्सो के हितग्राहियों की क्षमता का निर्माण।
समापन सत्र में सुप्रीम कोर्ट की किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष श्री जस्टिस एस0 रविन्द्र भट ने बताया कि छोटी आयु के पीड़ित बच्चों के प्रकरणों की जनपद स्तर पर ‘रेड फ्लैगिंग” करते हुए संवेदनशीलता से त्वरित कार्यवाही अपेक्षित है।
पॉक्सो जज को प्रत्येक चरण की समय सीमा आरम्भ में ही निर्धारित कर लेनी चाहिए ताकि समय पर परिणामो की समीक्षा हो सके। समस्त हितग्राहियों के हैंडहोल्डिंग हेतु सरकार प्रयास करे। पोक्सो से संबंधित हैंडबुक व गाइडलाइन्स के सरलीकरण की आवश्यकता है।
यूनिसेफ इंडिया की मुख्य बाल संरक्षण अधिकारी सुश्री सोलडैड हीरारो ने कहा कि भारत मे पोक्सो अधिनियम की दस वर्ष की यात्रा से विविध अनुभव प्राप्त हुए हैं, जिनका उपयोग कर कानून को बाल हितैषी बनाते हुए विभिन्न हितग्राहियों के मध्य मजबूत समन्वय बनाया जाए।
श्री इंदीवर पांडेय, सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने बताया कि बाल संरक्षण के क्षेत्र में नवीन तकनीक का उपयोग महत्त्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में अभियोजन विभाग ने तकनीक का उपयोग कर पॉक्सो प्रकरणों में निस्तारण की कार्यवाही त्वरित कर दी है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत सरकार के द्वारा गठित कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के माध्यम से हितग्रहियों के ऑनलाइन प्रशिक्षण व सर्टिफिकेशन के मॉड्यूल तैयार करवाये जा सकते हैं।
उन्होंने राज्य सरकारों से कहा कि निमहान्स के सहयोग से संचालित ‘संवाद” योजना का लाभ राज्य सरकारें उठाएं। निर्भया फण्ड के द्वारा फोरेंसिक साइंस लैब जनपदों में स्थापित करने के प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे जाएं, Co-Ed प्रणाली के विद्यालयों को बढ़ावा दिया जाए, जेंडर संवेदनीकरण कक्षा 8 से ही पाठ्यक्रम में सम्मिलित हो, पंचायत स्तर पर बाल संरक्षण समितियां सक्रिय की जाएं, बाल संरक्षण की सफलता की कहानियों को संकलित कर उनको प्रत्येक राज्य लागू करे।
श्री हरि चंद्र सेमवाल, सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास उत्तराखंड शासन ने कहा कि दो दिवसीय परामर्श में मा. सुप्रीम कोर्ट व अन्य राज्यों की हाई कोर्ट, राज्यों के बाल अधिकार संरक्षण आयोगों, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड, पुलिस व बाल विकास विभागों के अनुभवों को व सफलता की कहानियों को उत्तराखंड की आवश्यकताओं के अनुसार लागू करने के प्रयास किये जायेंगें। पॉक्सो के समस्त हितग्राहियों को सुलभ वातावरण प्रदान करते हुए उत्तराखंड को बाल मित्र राज्य बनाने के प्रयास भी किये जायेंगे।