नयी दिल्ली । उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कपड़ा मंत्रालय द्वारा आयोजित शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण समारोह में देश के शिल्पकारों को भारत की विरासत का राजदूत और संस्कृति के प्रकाश-स्तंभ की संज्ञा दी।
इस कार्यक्रम को कपड़ा, वाणिज्य एवं उद्योग तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में देश भर से अपने-अपने क्षेत्र में सिद्धहस्त शिल्पकारों को वर्ष 2017, 2018 और 2019 के लिए 30 शिल्प गुरु पुरस्कार और 78 राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए, जिनमें से 36 महिलाएं हैं।
इन पुरस्कारों का मुख्य उद्देश्य शिल्प कौशल में उनकी उत्कृष्टता और भारतीय हस्तशिल्प और वस्त्र क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान के लिए मान्यता देना है। कोविड19 महामारी के संकट के दौरान समारोह बीच में भौतिक रूप से नहीं हो सकता था।
विज्ञान भवन में आयोजित पुरस्कार समारोह में उपराष्ट्रपति ने कहा, शिल्पकार हमारी संस्कृति के प्रकाश स्तंभ हैं। मुझे आज यह कहने का सौभाग्य मिला है कि आप हमारी संस्कृति और रचनाधर्मिता के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली अंगारे हैं। आप दुनिया को यह दिखाते हैं कि भारत के पास कौशल का विशाल खजाना है।
धनखड़ ने कहा,‘‘ आज हम निवेश और अवसर के लिए विश्व स्तर पर सबसे पसंदीदा गंतव्य हैं और हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र से जुड़े शिल्पकारों ने इस वृद्धि में अपनी भूमिका निभाई है। कारीगरों की शिल्प कौशल और कौशल के बारे में बात करते हुए उप-राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे परिष्कृत कौशल भारत को गौरवान्वित करते हैं।
धनखड़ ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता यह दर्शाती है कि दुनिया प्रधानमंत्री और उनके दृष्टिकोण को सुन रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि दशक के अंत तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।गोयल ने संबोधन के दौरान कहा कि हस्तकला हथकरघा एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी भारत के लिए आधारशिला है जो बाकी दुनिया के साथ जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारत का हस्तशिल्प/हथकरघा निर्यात बढ़ रहा है। साथ ही, हमारे उत्पाद दूसरों की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं। उन्होंने कहा कि सदियों से हमारे शिल्पकारों ने पत्थर, धातु, चंदन और मिट्टी में जीवन लाने के लिए अपने स्वयं के – अक्सर अद्वितीय-तरीकों और तकनीकों का विकास किया है।
गोयल ने रोजगार सृजन में हस्तशिल्प क्षेत्र की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि वस्तुओं का उत्पादन कम पूंजी निवेश पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करता है और एक अच्छा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार है, जो भारतीय विरासत, संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। श्री गोयल ने कहा कि हस्तशिल्प को बढ़ावा देने से न केवल देश के पारंपरिक मूल्यों और समकालीन दृष्टिकोण के बीच संतुलन सुनिश्चित होता है बल्कि देश के कुशल हाथों को आश्रय भी मिलता है।