नैनीताल। उच्च न्यायालय ने शारीरिक शिक्षा में स्रातक (बीपीएड) और स्रातकोत्तर (एमपीएड) बेरोजगार प्रशिक्षित संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता दो सप्ताह के अंदर सरकार को अपना प्रत्यावेदन सौंपे और सरकार चार माह में उस पर आवश्यक कदम उठाये। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई।
प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि वे बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार हैं। उत्तराखंड शासन की ओर से आगामी शिक्षा सत्र 2022-2023 से प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। नई शिक्षा नीति में छात्र-छात्राओं के सम्पूर्ण विकास पर जोर दिया गया है।
इसके लिए शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य माना गया है परन्तु अभी तक सरकार ने शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी नहीं की है। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि एनसीईआरटी के द्वारा भी स्कूलों में शारीरिक शिक्षा के साथ ही खेल व योग को भी इंटरमीडिएट तक अनिवार्य रूप से लागू करने के आदेश दिए थे।
इस आदेश के क्रम में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भी सीबीएसई के तहत संचालित स्कूलों को इसे लागू करने के लिए वर्ष 2019 में सर्कुलर जारी किया था परन्तु इस पर भी शासन ने अभी तक कोई निर्णय नही लिया है। इसके लिए संगठन की ओर से सरकार को कई प्रत्यावेदन सौंपे गये हैं जिन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।