देश के इतिहास में उल्लेखनीय योगदान करने वाले लोगों को उचित दर्जा नहीं मिला 

नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को केंद्र में रही कांग्रेस की सरकारों पर हमला बोलते हुए कहा कि देश के इतिहास में उल्लेखनीय योगदान करने वाले लोगों को उचित दर्जा नहीं मिला है। श्रीमती सीतारमण ने महान योद्धा लचित बरफुकन की 400वीं जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन कहा,‘‘बीते 70 वर्षों में उल्लेख के पात्र लोगों को इतिहास में उचित दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है।

केंद्रीय मंत्री ने  बरफुकन को सच्चा देशभक्त बताया जिन्हें अपनी मातृभूमि के संरक्षण के लिए सर्वश्रेष्ठ देने के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा अहोम सैनिक और प्रमुख कमांडर लचित बरफुकन ने असम की सुरक्षा सुनिश्चित की है।उन्होंने कहा, असम और उसके लोगों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए उल्लेखनीय योगदान दिए हैं। इसमें अहोम असाधारण थे।

असम और इसके पड़ोसी इलाकों को आक्रमणों से सुरक्षित रखा गया। असम में आक्रमण की 17 कोशिशों को रोकना आसान कार्य नहीं है। जिस तरह से अहोम वंश ने असम को संरक्षित किया इसने एक बड़ी किलेबंदी के रूप में भी काम किया है। जिसने पूरे दक्षिण पूर्व एशिया को निर्मम आक्रमणों से बचाया है और आक्रमणकारी इससे आगे नहीं बढ़ पाए।

केंद्रीय मंत्री ने सर्वश्रेष्ठ देशभक्त को याद करने की इस पहल पर असम सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा, यह उत्तर पूर्व के कम याद किए जाने वाली हस्तियों को प्रदर्शित करने का एक शानदार प्रयास है। हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए ऐसे आयोजन महत्वपूर्ण हैं।सदियों से इतिहास को अलग-अलग तरीकों से दर्ज करने के लिए मैं असम की संस्कृति से बेहद प्रभावित हूं। इसमें इतिहास को विभिन्न तरीकों से दर्ज किया गया है।

उन्होंने इस दौरान सांस्कृतिक मंत्रालय से असम सरकार के साथ हाथ मिलाने का आग्रह किया जिसमें देश के महान योद्धाओं के इतिहास को एकत्रित किया जाए और इसका प्रचार किया जाए। इससे पूर्व असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने अपने संबोधन में कहा कि अगर अहोम मुगल आक्रमण को चकनाचूर नहीं करते तो आज दक्षिण पूर्व एशिया का मानचित्र कुछ अलग ही होता। देश के इतिहास ने मुगल राजाओं के इतिहास को पहचाना है।

लेकिन यह दक्षिण और उत्तर पूर्व के सम्राज्य पर लंबे समय तक राज करने वालों को नहीं पहचान पाया। भारत केवल मुगलों को लेकर नहीं है यह बहुत से ऐसे राजाओं का भी है जिन्होंने ताकत और स्रेह से राज किया है। उन्होंने दावा किया, भारत के इतिहास ने हमारे योद्धाओं को नजरअंदाज किया है। इसने लचित बरफुकन को भी ढंग से याद नहीं रखा।

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