नैनीताल । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार शर्मा को झटका देते हुए उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। अदालत ने उमेश शर्मा दलीलों को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ ने इस मामले में सात नवम्बर को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। आज अदालत ने अपना निर्णय सुनाया और याचिका को पोषणीय मानते हुए स्वीकार कर लिया। श्री शर्मा की ओर से याचिका की पोषणीयता (मेंटेनबिलिटी) पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
आगे कहा गया कि याचिकाकर्ता की ओर से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कदाचार का जो आरोप लगाया गया है और उसको लेकर जो शपथ पत्र (फार्म-25) दिया है, वह प्रावधानों के अनुसार नहीं है। इसलिए याचिका निरस्त करने योग्य है।
दूसरी ओर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पूरण सिंह रावत ने श्री शर्मा की दलीलों को गलत बताते हुए कहा कि शपथ पत्र नियमानुसार दायर किया गया है। हाईकोर्ट रजिस्ट्री की ओर सेदी गयी रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख है। अंत में अदालत ने गत सात नवम्बर को इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 29 नवम्बर की तिथि तय कर दी है।
अब याचिकाकर्ता की ओर से अगली सुनवाई पर साक्ष्य प्रस्तुत किये जायेंगे। यहां बता दें कि देवकी कलां लक्सर निवासी वीरेंद्र कुमार की ओर से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत शर्मा के निर्वाचन को चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से शर्मा के निर्वाचन को खारिज करने की मांग करते हुए कहा गया कि शर्मा ने मतदान को प्रभावित करने के लिए पुलिस के साथ मिलकर मतदाताओं को पैसे बांटे व मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान के लिए धमकाया भी गया।