कोलकाता। राज्य के कार्यकारी राज्यपाल ला गणेशन के आमंत्रण पर उनके बड़े भाई के जन्मदिन के कार्यक्रम में शामिल होकर लौटीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सुर बदले से दिख रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो तृणमूल कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि गैर भाजपा शासित राज्यों में राज्यपालों के खिलाफ विपक्षी दलों के प्रस्तावित आंदोलन में तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं होगी।
माना जा रहा है कि पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ के कार्यकाल में राज्य सरकार के साथ राजभवन के टकराव अब खत्म हो गए हैं और अब उस पर मधुर संबंधों की शुरुआत होने जा रही है। तृणमूल कांग्रेस पूर्व राज्यपाल धनखड़ को भाजपा के मुखौटे के तौर पर काम करने का आरोप लगाती रही थी। अब धनखड़ की जगह कार्यकारी राज्यपाल ला गणेशन के ममता बनर्जी के साथ शिष्टाचार वाले संबंध मधुर दिख रहे हैं।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने राज्यपाल गणेशन को अपने घर पर होने वाली काली पूजा में आमंत्रित किया था, जिसके बाद राज्यपाल ने उन्हें बड़े भाई के जन्मदिन में आने का न्योता दिया, जिसमें शामिल होने के लिए चेन्नई गई थीं।
सूत्रों की मानें तो चेन्नई में एमके स्टालिन के साथ मुलाकात के दौरान ममता ने तमिलनाडु के राज्यपाल को हटाने की मांग के समर्थन करने से नकार दिया। तृणमूल के एक नेता ने शुक्रवार को बताया है कि राज्यपाल के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा पार्टी कतई नहीं बनेगी। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी से तृणमूल कांग्रेस का गठबंधन भी नहीं है। ऐसे में किसी भी राजनीतिक कदम के समर्थन का सवाल ही नहीं उठता।
दरअसल, भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव और पोलितब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने कहा था कि समान विचारधारा वाले सभी दलों को गैर भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों के असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बर्ताव के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। उन्होंने इसके लिए साझा आंदोलन का भी आह्वान किया था, जिसके समर्थन में कई अन्य पार्टियों ने सहमत जताई थी। अब तृणमूल कांग्रेस ने अब इससे दूरी बनाने का मन बना लिया है।