कोलकाता। चक्रवाती तूफान सित्रांग का असर खत्म हो चुका है। यह भी पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश का कारण बना हुआ है। इसके बीच ही मौसम वैज्ञानिकों ने साफ कर दिया है कि यह सिलसिला अभी खत्म नहीं होने जा रहा है। बंगाल की खाड़ी में कई स्थानों का मौसम कुछ ऐसा है जो कभी भी चक्रवाती तूफानों को जन्म दे सकते हैं।
इस किस्म के एक बड़े तूफान आमपान का कहर भारत ने वर्ष 2020 के मई महीने में झेला था। वैज्ञानिकों के मुताबिक समुद्र में पैदा होने वाली गर्म हवा ऊपर जाने के बाद ठंडे माहौल में चक्कर काटने लगती है। इसी वजह से कई बार इसका असर चक्रवाती तूफान के जैसा होता है।
दरअसल आस पास के इलाकों की हवा भी इस गर्म हवा की तरफ चारों तरफ से जाकर एक चक्रवाती पैदा करती है। अभी बंगाल की खाड़ी में एक नहीं कई स्थानों पऱ ऐसा ही माहौल बनता दिख रहा है। इन सभी क्षेत्रों पर सैटेलाइटों के जरिए भी नजर रखने का काम जारी है।
सित्रांग के बाद जो अगला तूफान आयेगा, उसका नामकरण पहले ही कर दिया गया है। यह मान्दोस नाम से जाना जाएगा और उसके बाद मोचा नाम का चक्रवाती तूफान आयेगा। वैज्ञानिकों को आशंका है कि सित्रांग के गुजर जाने के बाद भी जो स्थिति बनी हुई है, उससे दिसंबर माह में फिर से ऐसा चक्रवाती तूफान आने की संभावना दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।
दरअसल यह देखा जा रहा है कि किसी किसी स्थान पर अचानक से समुद्र का पानी अत्यधिक गर्म होकऱ ऊपर के हवा को भी गर्म कर रहा है। इस वजह से वे हल्का होकर ऊपर की तरफ उठ रहे हैं। एक स्थान से हवा के ऊपर चले जाने की वजह से जो खाली स्थान बन रहा है, उसे भरने के लिए चारों तरफ से हवा बहुत तेज गति से इसकी तरफ बढ़ जाती है।
आम तौर पर जब ऐसे तूफान का दायरा तब बढ़ता है जब हवा की गति 62 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की हो जाती है। वैसी स्थिति में तूफान अपना इलाका बढ़ाता हुआ करीब चार सौ किलोमीटर व्यास के क्षेत्र में तबाही मचाता हुआ आगे बढ़ता है। अभी भी बंगाल की खाड़ी में ऐसे दो इलाकों में बदलाव होता हुआ दिख रहा है।