रांची। दूसरे प्राणियों के जीवन चक्र को समझने के लिए भी अब रोबोटिक्स का इस्तेमाल हो रहा है। दरअसल अनेक प्राणी ऐसे हैं जो इंसानों के करीब आने से प्रभावित होते हैं। इसलिए बिना उनके करीब गये उनके बारे में जानकारी हासिल करने का एक नया वैज्ञानिक हथियार यह रोबोट ही हैं।
इसके तहत पहले भी रोबोट कछुआ की मदद से कछुआ कैसे अंडे देते हैं और उन पर समुद्री पक्षियों का कैसे हमला होता है, इसे देखा और समझा गया था। अब उसके आगे एक ऐसा रोबोट कछुआ बनाया गया है जो जमीन और पानी में कछुआ के जैसा ही आचरण कर सकते हैं।
इसे बनाने वाले वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया है कि इसका आकार असली कछुआ जैसे बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि उसे कछुओं के बीच कोई जानकारी हासिल करने नहीं भेजा जाने वाला है। इसका काम समुद्र के अंदर कछुओं की दिनचर्या का पता लगाना है। आकार में काफी भिन्न होने के बाद यह वही काम कर सकता है।
इस तरीके से रोबोट तैयार करने को वैज्ञानिक परिभाषा में रोबोटिक एम्फिबॉयोसिटी कहा जाता है। इस विधि से तैयार नई प्रजाति का यह रोबोट कछुआ समुद्र के अंदर अन्य प्राणियों की गतिविधियां भी देख सकता है और उन दृश्यों को अपने नियंत्रण कक्ष तक बखूबी पहुंचा सकता है। येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने दल ने इस उन्नत किस्म का रोबोटिक कछुआ बनाया है।
देखने में यह लंबी बांहों वाला एक बड़ा केकड़ा जैसा भले ही नजर आता है लेकिन उसका काम कछुआ जैसा ही है। मजेदार बात यह है कि इसके बांह और पैर आवश्यकता के मुताबिक अपना आचरण बदल भी सकते हैं। इन्हें थमोर्सेट पॉलिमर से तैयार किया गया है।
इसके अंदर उपकरणों को गर्म रखने के लिए छोटे आकार के हिटर भी लगाये गये हैं। इस कृत्रिम रोबोट के नजर आने वाले सभी अंगे स्वतंत्र रुप से काम करते हैं जबकि उनका रिश्ता अंदर लगे तीन मोटरों से जुड़ा होता है। यह जुड़ाव यंत्र के कंधे के पास लगे हिस्से से संचालित होता है।
वे जमीन पर चलने के लिए अपने पैरों को थोड़ा ऊंचा कर सकते हैं। पानी यानी समुद्र में तैरने के वक्त यह पैर अपना आकार बदल लेते हैं ताकि वे पानी के अंदर सफाई से तैर सकें। येल विश्वविद्यालय के मैकानिकल विभाग के प्रोफसर रेबेका क्रामर बोट्टिगिलो ने कहा कि कछुओं के काम करने का अध्ययन करने के बाद ही इस रोबोट को इस तरीके से तैयार किया गया है।
इसका इस्तेमाल समुद्र में कई तरीकों से किया जाना है और उसी हिसाब के इसे तैयार भी किया गया है। इसके जरिए समुद्री तट की निगरानी और लहरों के उतार चढ़ाव के बदलाव को दर्ज किया जा सकता है। इसलिए जरूरत के हिसाब से यह अपनी संरचना को खुद ही बदल सकता है।
इसके पहले मैसाच्युट्स इंस्टिट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी ने चार पैरों का रोबोट कछुआ बनाया था। जिसके जरिए कछुओं के अंडा देने की गतिविधियों को सबसे करीब से देखा गया था। वह रोबोट बिल्कुल कछुआ जैसा ही नजर आता था। इस वजह से वह इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकार्ड करने में कामयाब भी हुआ था।