सौरभ के साथ साथ जय शाह भी दरकिनार

नईदिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के बड़े अधिकारी देश के बदलते राजनीतिक माहौल के अनुसार काम करना चाहते हैं। देश की सबसे धनी यह खेल संस्था भाजपा और विपक्ष दोनों से सीधा टकराव नहीं चाहती है। इसी वजह से अंतिम समय में अब जय शाह को इस बोर्ड का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रद्दी की टोकरी में डाला जा रहा है।

दूसरी तरफ सौरभ गांगुली के भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ने से इंकार करने की वजह से उन्हें भी दोबारा स्थान नहीं दिया जा सकता है। इसी फामूर्ले के तहत अब रॉजर बिन्नी को गद्दी सौंपने की चर्चा होने लगी है। खबर है कि भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस बोर्ड में शामिल होना चाहते थे लेकिन बदलते माहौल में इन प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया गया है।

कहा जा रहा है कि सौरभ गांगुली को दोबारा मनोनित करने की शर्त उनके भाजपा में शामिल होकर ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने की था। सौरभ के इंकार के बाद भाजपा समर्थक खेमा इससे नाराज है। वैसे सौरभ गांगुली ने पहले ही अनौपचारिक चर्चा के दौरान यह साफ कर दिया था कि वह इस दौड़ में शामिल नहीं हैं। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवारवाद का आरोपों की वजह से जय शाह भी विरोधियों की आलोचना के केंद्र में आ गये थे।

बिना किसी क्रिकेट अनुभव के भी बोर्ड में पदाधिकारी बनने को लेकर विपक्ष ने इसे ही परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण बताया था। अब राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से बदलते माहौल को भी देश के क्रिकेट प्रशासन भांप रहे हैं। इसी वजह से अब जय शाह को भी यह पद नहीं सौंपने की चर्चा होने लगी है।

जय शाह का नाम अंतिम समय में काटा गया है क्योंकि उनकी वजह से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड लगातार राजनीतिक विवादों में घिर रहा था और अब क्रिकेट प्रशासक इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है कि आगे भी देश में मोदी का युग जारी रहेगा। इसलिए मंगलवार की रात को प्रमुख लोगों के बहुमत ने जय शाह के नाम को आगे नहीं बढ़ाने का निर्णय ले लिया।
इसी वजह से बीच के फामूर्ले पर काम करते हुए प्रमुख क्रिकेट खिलाड़ी रोजर बिन्नी का नाम सामने आया है। भारत की तरफ से प्रथम विश्व कप क्रिकेट जीतने वाली टीम के सदस्य रहे बिन्नी कर्नाटक की क्रिकेट संस्था से जुड़े हुए हैं।

वैसे चर्चा है कि जय शाह को भी पूरी तरह दरकिनार नहीं किया जाएगा क्योंकि उससे भाजपा के नाराज होने का खतरा है। इसलिए वह अपने पुराने पद यानी बीसीसीआई के सचिव के पद पर ही काबिज रहेंगे। रोजर बिन्नी इस लिहाज से एक साफ सुथरी छवि वाले पूर्व क्रिकेटर हैं। वह पहले से ही बहुत अधिक प्रचार में नहीं रहते हैं। इसलिए पर्दे के पीछे से भारतीय क्रिकेट को नियंत्रित करने वालों के लिए बिन्नी को नियंत्रण में रखना आसान होगा।

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