नैनीताल । उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में पिछले तीन दिन से लगातार हो रही बरसात से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
कुमाऊं में 82 से अधिक सड़कें भूस्खलन के चलते अवरूद्ध हो गयी हैं जिससे कई यात्री फंस गये हैं। भूस्खलन के चलते चीन सीमा को जोड़ने वाले छह बार्डर (सीमा) मार्ग भी बाधित हो गये हैं।
सुरक्षा की खातिर प्रसिद्ध पूर्णागिरी यात्रा को भी 24 घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया है। पिथौरागढ़ व चंपावत को जोड़ने वाला चंपावत-टनकपुर राष्ट्रीय मार्ग पर कई जगह मलबा आने से पूर्णत: बाधित हो गया है। जिससे चंपावत का मैदान से संपर्क कट गया है।
शनिवार देर शाम को भी चंपावत-टनकपुर मार्ग पर मलबा आने से कई वाहन रात भर फंसे रहे। इनमें चंपावत व लोहाघाट व पिथौरागढ़ जाने वाली परिवहन निगम की छह बसें भी शामिल रहीं। इनमें 100 से अधिक यात्री सवार थे।
मार्ग बाधित होने व प्रशासन की मुस्तैदी के चलते इन यात्रियों को वापस टनकपुर ले जाया गया और उन्हें रेन बसेरों में ठहराया गया। स्थानीय प्रशासन की ओर से यात्रियों के ठहरने व खाने की व्यवस्था की गयी। चंपावत-टनकपुर मार्ग पर रविवार को चैनल 100, 106, स्वाला, कोट व अमोड़ी के पास पुन: भारी मात्रा में मलबा आने से मार्ग पूरी तरह से यातायात के लिये अवरूद्ध हो गया है।
प्रशासन मार्ग को खोलने के लिये युद्धस्तर पर जुटा हुआ है। जनपद कुल 20 सड़कें ठप पड़ी हुई हैं। चंपावत जनपद में ही अतिवृष्टि के चलते ग्राम पंचायत चंदनी के हेलागोठ और खटोली व बसबाड़ी गांव में तीन आवासीय मकान व एक गौशाला खतरे की जद में आ गयी है।
प्रशासन ने तीनों परिवारों व मवेशियों को सुरक्षित पनाह दे दी है। यही नहीं अतिवृष्टि व श्रद्धालुओं की सुरक्षा के चलते चंपावत जिला प्रशासन ने प्रसिद्ध पूर्णागिरी यात्रा पर भी 24 घंटे के लिए रोक लगा दी है। टनकपुर के उपजिलाधिकारी हिमांशु कफल्टिया ने बताया कि खराब मौसम को देखते हुए यात्रा को 10 अक्टूबर तक स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।
अतिवृष्टि के चलते सीमांत पिथौरागढ़ जनपद सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। यहां भूस्खलन के चलते जनपद के प्रमुख 21 मार्ग अवरूद्ध हैं। इनमें चीन सीमा को जोड़ने वाले छह बार्डर मार्ग गाला-जिप्ती, तवाघाट-घटियाबगड़, पिथौरागढ़-धारचूला, घटियाबगड़-लिपूलेख, गुंजी-कुटी-ज्योलिकांग व जौलजीवी-मुनस्यारी मार्ग भी शामिल हैं।
कैलाश मानसरोवर व आदि कैलाश मार्ग पर मालपा-बूंदी व गुंजी और कुटी के बीच कई जगह मलबा आया हुआ है। यहां 12 ग्रामीण मार्ग भी बंद पड़े हैं। यातायात के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण थल-मुनस्यारी राजमार्ग भी बंद पड़ा हुआ है। नैनीताल जनपद में प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग खुले हैं लेकिन यहां 29 विभिन्न सड़कें मलबा आने के चलते ठप हो गयी हैं।
इनमें छह राजमार्ग, दो जिला मार्ग व 21 ग्रामीण मार्ग शामिल हैं। हल्द्वानी व अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर कैंची व गरमपानी के बीच पत्थर गिरने का खतरा बना हुआ है। अल्मोड़ा जिले में अल्मोड़ा-घाट-पनार राष्ट्रीय राजमार्ग के अलावा काफलीखान-भनोली-सिमलखेत राजमार्ग समेत कुल 12 सड़कें बंद पड़ी हैं। इनके अलावा कुमाऊं मंडल में अधिकांश नदियां व गाड-गधेरे उफान पर हैं।