नारकोटिक्स व साइकोट्रोपिक दवाओं के संदर्भ में जारी आदेश वापस लेने की मांग

उत्तरांचल औषधि व्यवसायी महासंघ ने ड्रग कंट्रोलर से की है मांग

देहरादून । उत्तरांचल औषधि व्यवसायी महासंघ ने शेड्यूल के में शामिल नारकोटिक्स व साइकोट्रोपिक दवाओं के विक्रय व भंडारण के संदर्भ में ड्रग कंट्रोलर द्वारा बीती 27 जुलाई को जारी आदेश को वापस लेने की मांग की है।

महासंघ के अध्यक्ष बीएस मनकोटी व महामंत्री अमित गर्ग का कहना है कि ड्रग कंट्रोलर द्वारा पारित आदेश के बाद से प्रदेशभर में होलसेल व रिटेल केमिस्ट के पास नारकोटिक्स व साइकोट्रोपिक दवाओं की किल्लत शुरू हो गई है। क्योंकि इन दवाओं का भंडार व बिक्री न्यूनतम किए जाने का प्रावधान किया गया है।

जबकि इन महत्वपूर्ण दवाओं का इस्तेमाल मनोचिकित्सक के अलावा फिजिशियन, सर्जन व अन्य चिकित्सकों द्वारा मरीजों के रोजमर्रा के इलाज के लिए किया जाता है।
कहा कि ड्रग कंट्रोलर द्वारा पारित आदेश के बाद से रिटेल व होलसेल दोनों स्तर पर दवाओं की कमी शुरू हो गई है। क्योंकि इन दवाओं को रखने की प्रस्तावित मात्रा सभी कंबीनेशन को मिलाकर विभिन्न मरीजों की जरूरतों को देखते हुए बहुत कम है।

जिसका विपरीत असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। ड्रग कंट्रोलर द्वारा जारी आदेश के अनुसार शेड्यूल के में शामिल दवाओं की न्यूनतम मात्रा रखने के अलावा उनका ब्यौरा रखने की अनिवार्यता के साथ हर महीने सभी सूचना ड्रग कंट्रोल विभाग को भेजना अनिवार्य है।

महासंघ अध्यक्ष ने बताया कि अभी तक हमें दवा व्यवसायी से प्रति उत्तर प्राप्त हो रहे हैं उसके अनुसार अधिसंख्य दवा व्यापारियों ने इस आदेश के अंतर्गत आने वाली दवाओं का स्टॉक वापस भेजना शुरू कर दिया है। जिस कारण नारकोटिक्स व साइकोट्रोपिक दवाओं की किल्लत शुरू हो गई है।

दवाइयों की कम मात्रा से मरीजों का पर्याप्त इलाज कर पाना संभव नहीं है। कहा कि पूर्व से ही सभी दवा विक्रेता इन सभी दवाओं की बिक्री का ब्यौरा रखते रहे हैं। डॉक्टर के पर्चे पर ही मरीज को दवा दी जाती है। इसके बाद भी नया आदेश जारी किया गया है। उन्होंने मांग की है कि राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बीती 27 जुलाई को जारी आदेश को वापस लिया जाए या शिथिलता प्रदान की जाए।

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