नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) से सटे सिद्धबली स्टोन क्रेशर के मामले में स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाने के प्रकरण में भूतत्व और खनिकर्म विभाग के निदेशक को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने कोटद्वार निवासी देवेन्द्र सिंह अधिकारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद ये निर्देश जारी किये। दरअसल युगलपीठ में मानकों के विपरीत ईको सेंसटिव जोन में सिद्धबली स्टोन क्रेशर को लगाये जाने को लेकर सुनवाई चल रही है।
आज इसी मामले में अदालत में खनिकर्म विभाग के निदेशक की ओर से जवाब पेश किया गया लेकिन अपुष्ट जानकारी होने पर अदालत ने विभाग के निदेशक को 23 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
अदालत ने विगत 27 जुलाई को केन्द्र और राज्य सरकार से पूछा था कि कोटद्वार के जिस भूदेवपुर गांव में सिद्धबली स्टोन क्रेशर स्थापित है, वह पहड़ा में है या मैदान में? उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता की ओर से वर्ष 2020 में एक जनहित याचिका दायर कर सिद्धबली स्टोन क्रेशर के मामले को चुनौती दी गयी थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि स्टोन क्रेशर मानकों के खिलाफ लगाया गया है। स्टोन क्रेशर उच्चतम न्यायालय की गाइड लाइन को भी पूरा नहीं करता है।