भाजपा का नया दस्तूर, हारे को हार

 प्रदेश के मुख्यमंत्री का चुनाव हो या फिर नए प्रदेश अध्यक्ष

देहरादून। सत्ता में प्रचंड जीत के बावजूद भाजपा नेतृत्व 2024 को केन्द्रित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष बदलेगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मदन कौशिक की छुट्टी करते हुए बदरीनाथ से पूर्व विधायक महेन्द्र भट्ट को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है।
महेन्द्र भट्ट को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ ही अब राज्य में युवा सरकार युवा संगठन का नारा बुलंद कर दिया गया है। इतना ही नहीं पहले भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे पुष्कर सिंह धामी की मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोशी होती है और अब उनसे पहले यानी राज्य के पहले भाजयुमो अध्यक्ष रहे महेन्द्र भट्ट को संगठन की कमान सौंप दी गई है। यानी भाजपा युवा मोर्चा से निकले दोनों नेताओं के हाथ में मोदी-शाह ने सरकार और संगठन की कमान सौंपी है।
हालाँकि महेन्द्र भट्ट को अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने एक मायने में कांग्रेस की लकीर को ही आगे बढा दिया है।कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए करन माहरा रानीखेत से चुनाव हारने के बावजूद पीसीसी चीफ बना दिए गए, तो उसी तर्ज पर भाजपा नेतृत्व ने भी बदरीनाथ सीट से हारे महेन्द्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है।

जाहिर है दोनों दलों ने 2024 और 2027 के लिहाज से प्रदेश नेतृत्व को लेकर युवा चेहरों पर दांव लगाया है।हालाँकि मदन कौशिक भी ब्राह्मण चेहरे थे और हरिद्वार यानी गढ़वाल मंडल से ही आते थे लेकिन जब कांग्रेस ने पहले गणेश गोदियाल और फिर करन माहरा यानी पहाड़ से नेतृत्व दिया तो भाजपा में भी सीएम धामी के कुमाऊं से होने के चलते गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्र से किसी ब्राह्मण चेहरे को अध्यक्ष बनाने की मांग अंदर ही अंदर उठती रहती थी।

फिर चुनाव में जिस तरह से कौशिक को लेकर फीडबैक आलाकमान तक पहुंचा उसने भी जल्दी ही अध्यक्ष बदलने की चर्चा को राजनीतिक गलियारे में गरमाए रखा। महेन्द्र भट्ट के अलावा तीन चेहरे और भी रेस में थे सौरभ थपलियाल, कैलाश शर्मा और खजानदास के नाम शामिल थे।

लेकिन महेन्द्र भट्ट के जरिए भाजपा नेतृत्व ने बड़ी लकीर खींचने की कोशिश की है। भट्ट दो बार के विधायक रहे हैं और संगठन में युवा मोर्चा अध्यक्ष से लेकर कई दायित्व संभाल चुके हैं। लिहाजा उनके पास संगठन और सरकार का तजुर्बा भी है और युवा भी हैं जिससे मुख्यमंत्री के साथ बेहतर तालमेल बना पाएंगे।
महेन्द्र भट्ट को अध्यक्ष बनाकर भाजपा नेतृत्व ने गढ़वाल और कुमाऊं का क्षेत्रीय समीकरण तो साध ही लिया है और ठाकुर-ब्राह्मण का सामाजिक समीकरण भी। अब देखना होगा कि अध्यक्ष पद से हटाए गए मदन कौशिक को लेकर पार्टी नेतृत्व क्या निर्णय लेता है। क्या वरिष्ठ नेता मदन कौशिक को केन्द्रीय संगठन में लिया जायेगा या फिर भट्ट के अध्यक्ष बनते ही अब मदन को मंत्री बनाने के लिए धामी कैबिनेट के विस्तार के द्वार भी खुलेंगे

पूर्व विधायक महेंद्र भट्ट को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा हाईकमान ने उत्तराखंड के लिहाज से क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने की कोशिश की है। अहम बात यह भी है कि भट्ट जिस अंदाज की सियासत करते हैं, उससे उत्तराखंड भाजपा का एक नया रूप दिख सकता है। इतना ही नहीं अब सत्ता और संगठन के बीच तालमेल और बेहतर हो सकता है।
उत्तराखंड में कुमाऊं और गढ़वाल के बीच क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधने की चुनौती सियासी दलों के सामने रहती है। भाजपा ने नए अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की ताजपोशी से इसे साध लिया है। सत्ता के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ठाकुर समाज से हैं और कुमाऊं के हैं। अब अध्यक्ष बनाए गए महेंद्र भट्ट गढवाल के ब्राह्मण समाज से हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि धामी और भट्ट का आपसी सामंजस्य बेहतर है। इसका लाभ भी एक दूसरे पूरी तरह से मिलेगा।
अहम बात यह भी है कि भट्ट के अध्यक्ष बनने के बाद उत्तराखंड भाजपा एक नए रूप में दिख सकती है। भट्ट की सोशल मीडिया पर पोस्ट और उनके बयान उनकी छवि एक कट्टरवादी हिंदुत्व की दिखाती है। भट्ट एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए भी जाने जाते हैं। उनके तमाम बयान आए दिन सुर्खियों में रहते हैं। अगर भट्ट ने अध्यक्ष बनने के बाद भी अपने पुराने तेवर ही बनाए रखे तो प्रदेश भाजपा का पूरा कलेवर ही बदलाव नजर आएगा।

Leave a Reply