भाकृअनुप। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में दिनांक 27.07.2022 को नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास), अल्मोड़ा की बैठक का आयोजन संस्थान के निदेशक तथा नराकास के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मी कान्त की अध्यक्षता में किया गया।
इस बैठक में अल्मोड़ा नगर के केन्द्रीय सरकार के विभागों, कार्यालयों, उपक्रमों, सशस्त्र बलों तथा राष्ट्रीयकृत बैंकां के अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। तत्पश्चात सभी सदस्य कार्यालयों के प्रतिनिधियों द्वारा अपना परिचय दिया गया।
डॉ. जेकेबिष्ट, विभागाध्यक्ष, फसल उत्पादन ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उन्हें संस्थान की उपलब्धियों से अवगत कराया तथा कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की। इसके उपरान्त श्रीमती रेनू सनवाल सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की पिछली बैठक के बिन्दुओं पर की गई कार्यवाही प्रस्तुत की गयी तथा राजभाषा वार्षिक कार्यक्रम 2022-23 की जानकारी दी गयी।
नराकास के अध्यक्ष एवं संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकान्त ने सभी नराकास के सदस्यों का स्वागत एवं आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सब का कर्त्तव्य हैं कि राजभाषा हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग किया जाय। उन्होंने नराकास के उदेश्य प्रेरणा, प्रोत्साहन एवं सदभावना पर बल देते हुए कहा कि हमें सभी को हिन्दी में कार्य करने हेतु प्रेरित करना चाहिए तथा हिन्दी में अच्छा कार्य करने हेतु प्रोत्साहन देना चाहिए तथा हिन्दी का विकास सदभावना के उदेश्य से करना चाहिए।
उन्होंने पिछली बैठक की समीक्षा करते हुए सभी सदस्य कार्यालयों से अनुरोध किया कि वे राजभाषा की वेबसाइट पर जल्दी से जल्दी पंजीकरण करवायें तथा राजभाषा विभाग को भेजी जाने वाली रिपोर्ट को भी समय पर प्रेषित करें।
साथ ही उन्होंने राजभाषा अधिनियम 1963(3) तथा राजभाषा नियम 11 के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम भारत सरकार में सेवारत है अतः हमें राजभाषा अधिनियम के अन्तर्गत आने वाली सभी नियमों को अनुपालन करना चाहिए।
उन्होंने सभी सदस्य कार्यालयों से अपील की कि वे नराकास से सम्बन्धित रिपोर्ट में सही आंकड़े दर्शायें तथा लक्ष्य प्राप्त करने की रणनीति प्राप्त करें। साथ ही उन्होंने सभी सदस्य कार्यालयों से आग्रह किया कि वे अगली बैठक में अपने-अपने संस्थान में हो रही हिन्दी की प्रगति पर दस मिनट का एक प्रस्तुतीकरण दे। कार्यक्रम का कुशल संचालन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कुशाग्रा जोशी द्वारा किया गया तथा नराकास के सदस्य सचिव श्री ललित मोहन तिवारी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया गया।