नयी दिल्ली। अग्निपथ योजना की वैधता को चुनौती देने वाली कई जनहित याचिकाओं को उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष स्थानांतरित कर दिया तथा नई याचिकाएं इसी उच्च न्यायालय में विचार करने का विकल्प देने का सुझाव दिया।
दिल्ली उच्च न्यायालय पहले से ही इस प्रकार की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई के लिए हर्ष अजय ंिसह, एम. एल. शर्मा और रवींद्र ंिसह शेखावत द्वारा दायर जनहित याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत में इन्हीं तीन याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई की गुहार लगाई थी। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, याचिकाकर्ता अधिवक्ता एम. एल. शर्मा के अलावा कुमुद लता दास और अन्य की दलीलें सुनने के बाद यह भी कहा कि इस (अग्निपथ) विषय पर बड़ी संख्या में जनहित याचिकाओं की आवश्यकता नहीं होगी। पीठ ने कहा राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे का मतलब यह नहीं है कि शीर्ष अदालत को इसे सुनना चाहिए। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर उच्च न्यायालयों में से एक भी इस मामले की सुनवाई कर सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय इस मुद्दे पर पहले से सुनवाई कर रहा है। असंगत फैसलों से बचने के लिए अन्य उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाएं भी दिल्ली उच्च न्यायालय स्थानांतरित की जा सकती है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर (अग्निपथ से संबंधित) भविष्य में कोई जनहित याचिका दायर की जाती है तो संबंधित उच्च न्यायालय याचिकाकर्ता को दिल्ली उच्च न्यायालय जाने का यही विकल्प का सुझाव दे सकता है। गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय ने 14 जून 2022 को जारी एक अधिसूचना द्वारा अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। इसके तहत सेना में चार साल की अवधि के लिए साढ़े 17–21 वर्ष आयु वर्ग के उम्मीदवारों की भर्ती से संबंधित घोषणा के बाद देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर ंिहसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। हालांकि, बाद में केंद्र सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया, जिसके बाद विरोध का सिलसिला कम देखने को मिला। बीरेंद्र.संजय