देहरादून। सुप्रीम कोर्ट के जज अथवा अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के फोटो वाली डीपी लगाकर लोगों को ठगने वाले दो अंतरराज्यीय ठगों को देहरादून पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस उप महानिरीक्षक और देहरादून के प्रभारी वरिष्ट पुलिस अधीक्षक जन्मेजय प्रभाकर कैलाश खण्डूरी ने आज यहां बताया कि बीते आठ जुलाई को एसटीएफ के उप निरीक्षक दिलबर सिंह नेगी ने थाना कोतवाली पर सूचना दी कि न्यायमूर्ति अथवा महानुभावों की फोटो अपने मोबाइल की डीपी पर लगा कर, भारत सरकार के मंत्रालयों एवं राज्य सरकार के मंत्रालयों एवं विभिन्न वरिष्ठ अधिकारिगणों को अपने प्रभाव में लेकर आम लोगों से काम करवाने के एवज में एक साइबर गिरोह ठगी करने का प्रयास कर रहा हैं।
यह गिरोह जगह-जगह लाखों रुपए लोगों से काम करवाने के एवज में ले रहे हैं। इसपर, जांच में प्रथम दृष्टया नोएडा एवं दिल्ली के आसपास एक ऐसे गिरोह का सक्रिय होना प्रकाश में आया, जो न्यायमूर्ति , महानुभाव एवं वरिष्ठ मंत्री गणों के पद नाम का उपयोग कर एवं उनके फोटो अपने मोबाइल की डीपी पर लगा कर कई लोगों से काम करवाने की एवज में मोटी धनराशि एकत्रित कर रहा है।
डीआईजी ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस टीम को एक संदिग्ध मोबाइल नम्बर की जानकारी प्राप्त हुई, जो मनोज कुमार नाम के व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड है। उक्त नम्बर द्वारा कुछ दिन पूर्व भी सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायमूर्ति (जज) की डीपी अपने मोबाइल पर लगा कर, स्वंय को जज बताते हुए उत्तराखण्ड शासन में तैनात एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से काम कराने के लिए फोन एवं मैसेज किया गया।
इसके बाद छह जुलाई को जब उक्त व्यक्ति, एक अन्य व्यक्ति व दो महिलाओं के साथ सचिवालय में तैनात वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से मिले। इस परअधिकारी ने स्वंय को न्यायमूर्ति बताने वाले उक्त व्यक्ति पर शक जाहिर किया था।
श्री खण्डूरी ने बताया कि गठित टीम ने उक्त संदिग्ध नंबरों व व्यक्तियों के संबंध में गोपनीय पुष्ट जानकारी एकत्र कर, नोएडा (उत्तर प्रदेश) के सेक्टर 50, महागुन मेपल सोसाइटी में बीते शनिवार रेड डाली। जहां पर मौजूद दो व्यक्तियों की तलाशी में प्राप्त मोबाइल फोनों पर कई मंत्रालयों के नंबर एवं कई वीआईपी के नंबर सेव मिले।
उन्होंने बताया कि उक्त मोबाइल नम्बरों से ही, शासन के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के जज के नाम से मैसेज किया गया। पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म कुबूल किया है।