हरिद्वार। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के हरिद्वार सेवा केंद्र पर “करुणा- दया से आध्यात्मिक सशक्तिकरण “विषयक संगोष्ठी में ब्रह्माकुमारीज की देहरादून सब जोन प्रभारी राजयोगिनी बीके मंजू ने कहा कि व्यवहार में करुणा और दया तभी आ सकती है जब हम ईश्वरीय ज्ञान के माध्यम से परमात्मा से जुड़े हो।
क्योंकि परमपिता परमात्मा शिव ही करुणा, दया,शांति,सुख,आंनद के सागर है।उन्होंने इसके लिए राजयोग अभ्यास को कारगर उपाय बताया।मुख्य अतिथि ‘एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा’ रूहानी मंत्र के उद्घोषक व जाने माने सन्त बाबा फुलसन्दे ने कहा कि उन्हें ब्रह्माकुमारीज संस्थान में आकर ओम शांति अभिवादन से सुखद अनुभूति हुई।
उन्होंने अपनी रूहानी यात्रा का उल्लेख करते हुए श्रीमद्भागवत गीता के आमजीवन में योगदान की चर्चा की।बाबा फुलसन्दे ने ब्रह्माकुमारीज द्वारा देश और समाज मे की जा रही ईश्वरीय सेवाओ को जगत कल्याण का कारक बताया।हरिद्वार सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी बीके मीना ने राजयोग का अभ्यास कराने के साथ ही विषय सन्दर्भ पर कहा कि बिना करुणा व दया के हम आध्यात्मिक नही हो सकते यानि करुणा और दया ही हमारे आध्यात्मिक सशक्तिकरण का प्रबल आधार है।
रुड़की सेवा केंद्र प्रभारी बीके गीता ने दया व करुणा को जीवन का महत्वपूर्ण व्यवहार बताया व कहा कि इसके बिना हम अच्छे इंसान कहलाने योग्य भी नही है।यानि जिसमे दया है करुणा है वही आध्यात्मिक हो सकता है,अन्य किसी को यह सौभाग्य नही मिल सकता।
देहरादून से आए राजयोगी ब्रह्मकुमार सुशील भाई के कुशल संचालन में विशिष्ट अतिथि साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन ने कहा कि जो सदगुण परमात्मा के पास है वही हमे परमात्मा को याद करके प्राप्त हो सकते है।उन्होंने बाबा फुलसन्दे के आध्यात्मिक योगदान को जहां जनमानस के लिए कल्याणकारी बताया वही ब्रह्माकुमारीज के राजयोग को इंसान से देवता बनाने तथा युगपरिवर्तन का सशक्त माध्यम बताया।
इस अवसर पर संस्था की ओर से बाबा फुलसन्दे व श्रीगोपाल नारसन का शाल ओढ़ाकर व ईश्वरीय सौगात देकर सम्मान भी किया गया।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ब्रह्माकुमारीज व बाबा फुलसन्दे से जुड़े भाई बहनों ने भाग लिया।