ऐसे में कैसे होगा जनपद में पर्यटन का विकास, कुमंविनि के आवास गृह में सात कमरों में लटका ताला, जीर्ण शीर्ण हो रहा भवन

बागेश्वर । सरकार प्रदेश में पर्यटन विकास की बातें करती है। परंतु इस ओर अब तक की सरकारें गंभीर नहीं दिखती हैं।
हाल यह है कि पर्यटकों के लिए कार्य कर रही कुमंविनि के जनपद के विश्राम गृह पर्यटकों को सुविधा नहीं दे पा रहे हैं।
बागेश्वर पर्यटक आवास गृह में कुल 19 कमरे हैं जिनमें सात कमरों को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। भवन जीर्ण शीर्ण हो रहा है तथा कमरों के दरवाजे व खिड़कियां दीमक के प्रभाव से खराब हो रहे हैं।
बागेश्वर में बाहर से आने वाले लोगों के लिए कुमंविनि ही एकमात्र रात बिताने का विश्राम गृह हुआ करता था। यह पिंडारी आदि ग्लेशियरों का बेस कैंप बनाया गया।
यहां पर वर्ष भर पर्यटकों व अन्य का आना जाना लगा रहता था। परंतु पिछले कुछ सालों से इसकी ओर सरकार ने ध्यान देना बंद कर दिया है। यहां पर कुल 19 कमरे हैं तथा चार डोरमैटी है जिसमें से सात कमरों की हालत जीर्ण शीर्ण होने के कारण द्वितीय तल के सात कमरों को बंद कर दिया है।
शेष कमरों में भी उचित फर्नीचर आदि की कमी है। एक भी कमरा वातानुकूलित की सुविधा का नहीं है। टीआरसी के टायलेट, स्नानागार भी सुविधायुक्त नहीं हैं। जिस कारण पर्यटक कुमंविनि के आवास गृह में आने से कतरा रहे हैं। जिसका असर सरकार के राजस्व में पड़ रहा है।

टीआरसी के खस्ताहाल पर निजी होटल संचालकों की मनमानी

बाहर से आने वाला पर्यटक सरकारी नियंत्रण वाला विश्राम गृह ही चाहता है क्योंकि इनके फिक्स रेट होते हैं। परंतु यहां पर सुविधा न होने के कारण पर्यटकों को अन्य निजी होटलों में रूकना पड़ रहा है जहां नगर के कुछ होटल मालिकों की उनसे रहने व भोजन की मनमानी कीमत वसूलने की शिकायत आती हैं।
बागेश्वर टीआरसी जनपद की प्रथम टीआरसी है। सरकार को चाहिए कि वह टीआरसी को हाईटैक बनाए यहां पर्यटकों को सुविधा मिलेगी तो निगम की आय बढ़ेगी। इसके लिए महासंघ निरंतर अधिकारियों से मांग करता रहा है।
डीसी गुरूरानी, अध्यक्ष संयुक्त कर्मचारी महासंघ कुमंविनि

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