पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना में मिलेगी छूटः धन सिंह रावत

स्वास्थ्य मंत्री ने चिंतन शिविर में रखे उत्तराखंड के अहम मुद्दे

  • कहा, पीजी स्तर पर एक प्रोफेसर के अधीन हों चार एमबीबीएस डॉक्टर
  • 50 बेड क्षमता के निजी अस्पतालों को मिले क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में छूट
  • विषम परिस्थितियों के मध्यनज़र एयर एम्बुलेंस सेवा को मिले पांच साल का विस्तार

गुजरात/देहरादून। गुजरात के केवडिया में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद के 14वें सम्मेलन में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं संबंधित मुद्दों को प्रखरता से रखा।

उन्होंने राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितयों का हवाला देते हुए पर्वतीय जनपदों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना हेतु जनसंख्या संबंधी मानकों में शिथिलता देने की पैरवी की।

साथ ही 50 बेड से कम क्षमता वाले निजी अस्पतालों के संचालन हेतु क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों में छूट दिये जाने की मांग रखी।

डॉ. रावत ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एक प्रोफेसर के सुपरविजन में चार एमबीबीएस डॉक्टर को पीजी कोर्स हेतु मान्यता देने एवं राज्य में संचालित एयर एम्बुलेंस सेवा को आगामी पांच वर्षों के लिए बढ़ाये जाने की भी मांग चिंतन शिविर में रखी, जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री सहित चिंतन शिविर में मौजूद अन्य राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने अपनी सहमति जताई।

यहां मीडिया को जारी एक बयान में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि गुजरात में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयोजित स्वास्थ्य चिंतन शिविर में राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के मध्यनजर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना के लिए प्रचलित मानकों को शिथिल कर जनसंख्या संबंधी प्रावधानों में बदलाव किया जाय साथ ही 50 बेड से कम क्षमता वाले निजी अस्पतालों के संचालन हेतु क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों में छूट देने की मांग रखी।

उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने हेतु वर्तमान मानक अव्यवहारिक साबित हो रहे हैं। यदि जनसंख्या के मानकों में छूट मिल जाती है तो न्याय पंचायत स्तर पर अधिक से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना कर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक विस्तार दिया जा सकेगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सूबे के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में वर्तमान में पीजी स्तर पर एक प्रोफेसर के अधीन दो एमबीबीएस डॉक्टरों ही पीजी कोर्स (एमडी) कर सकते हैं, यदि नेशनल मेडिकल काउंसिल के नियमों में शिथिलता प्रदान करते हुए एक प्रोफेसर के अधीन चार एमबीबीएस डॉक्टरों को पीजी करने की अनुमति मिल जाती है तो राज्य में पांच वर्षों के भीतर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर हो जायेगी।

इसी प्रकार चिंतन शिविर में राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को मध्यनजर रखते हुए एयर एम्बुलेंस सेवा को आगामी पांच वर्षों तक बढ़ाने तथा पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पताल परिसरों में चिकित्सकों हेतु ट्रांजिस्ट हॉस्टल के निर्माण के लिए विशेष पैकेज दिये जाने का प्रस्ताव रखा।

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