पाप से डरिए, पापी से नहीं: जस्टिस ध्यानी

 प्रशिक्षण कार्यक्रम को दूसरे दिन वक्ताओं ने बच्चों की सुरक्षा एवं अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर की चर्चा

देहरादून। प्रदेश महिला कल्याण विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन गढ़वाल मंडल क़ी बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों तथा किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों को दीन दयाल उपाध्याय वित्त प्रशासन संस्थान सुद्धोवाला में बतौर मुख्य वक्ता जस्टिस यू सी ध्यानी ने संबोधित करते हुए प्रशिक्षुओं से कहा कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 तथा नियम 2016 को शब्दों एवं आत्मा दोनों से मनन करने की आवश्यकता है।

इस कानून में 18 वर्ष तक के बच्चे को सजा या जेल का प्राविधान नहीं है, बच्चे की मंशा किसी को नुकसान पहुंचाने की नहीं होती है। इसलिए पाप से डरिए, पापी से नहीं। यही इस कानून का सिद्धांत है।


जस्टिस ध्यानी ने कहा कि बाल कल्याण समिति और किशोर न्याय बोर्ड के प्रतिनिधियों को बच्चों से सहानुभूति रखनी जरूरी है। जस्टिस ने बताया कि अपराध के बाद कुछ व्यक्ति स्वयं को घटना के समय जुवेनाइल बतातें हैं, ऐसे में जन्म प्रमाण पत्र की ध्यान से जांच की जानी चाहिए।

बाल गृहों के बच्चों पर पैनी नजर रखी जानी चाहिए। बच्चों का सर्वोत्तम हित सुनिश्चित करना ही समिति और बोर्ड का दायित्व है।

स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टर नरेश कुमार ने बताया कि पोक्सो प्रकरणों में बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय बोर्ड को संवेदनशीलता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा के सेक्शन 164 A, सेक्शन 53 A तथा बाल पीड़ित की पहचान सुरक्षित रखने के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई।

मुख्य प्रशिक्षक के रूप में कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन, नई दिल्ली से डॉक्टर संगीता गौड़ ने बाल गृहों का प्रबन्धन, बाल कल्याण समिति के कार्य व दायित्व, फिट पर्सन, फिट फैसिलिटी, गैर संस्थागत देखभाल- फोस्टर केअर, स्पॉन्सरशिप, दत्तक ग्रहण – पर विस्तार से प्रकाश डाला और प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं पर प्रकाश डाला।

सुश्री अदिति पी कौर, निदेशक, चाइल्डलाइन देहरादून ने बाल संरक्षण में चाइल्डलाइन की भूमिका, राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय बाल आयोग, राज्य बाल संरक्षण समिति, राज्य दत्तक ग्रहण अभिकरण के बारे में जानकारी दी। ग्राम्य बाल संरक्षण समिति के गठन व संचालन ले संबंध में विस्तार से चर्चा की गई।

पुलिस विभाग के प्रतिनिधि के रूप में पल्लवी त्यागी, सी.ओ. मंसूरी व हैड, विशेष जुवेनाइल पुलिस इकाई ने विस्तार से बताया कि संवेदनशीलता के साथ पुलिस बाल अधिकारों की रक्षा करती है।

SJPU व बाल कल्याण पुलिस अधिकारी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड की मासिक बैठक बहुत महत्वपूर्ण है जिसमे श्रम, शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विकास, जिला बाल संरक्षण इकाई आदि विभागों तथा योजनाओं में समन्वय करते हुए दैनिक समस्याओं का हल ढूंढा जाता है।
POCSO के पीड़ित बच्चों के बयान लेते समय सावधानी आवश्यक है। पीड़ित के सामने अपराधी को नहीं लाया जाए वरना जांच प्रभावित होती है। पीड़ित बच्चे की पहचान किसी भी तरह प्रकट नही होनी चाहिए, सावधानी रखें अन्यथा ऐसे परिवारों की सामाजिक बदनामी होती है।
बाल संरक्षण से जुड़े समस्त व्यक्तियों को पीड़ित बालिका के चरित्र हनन से हर हाल में बचने की आवश्यकता है। उनसे सामान्य बच्चे की तरह गरिमा से पेश आना चाहिए। उन्होंने एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के कार्यों की जानकारी दी, जो बाल तस्करी को रोकने में महत्त्वपूर्ण है।
कतिपय क्षेत्रों में धन लेकर बाल विवाह करने की शिकायत मिलती है वहां जनजागरुकता के साथ त्वरित कार्यवाही और विवाह रोकने की जरूरत होती है। प्रो. ओमकार नाथ तिवारी, प्राचार्य व निदेशक ILSR, मथुरा ने किशोर न्याय बोर्ड की कार्य प्रणाली, संस्थागत तथा गैर संस्थागत देखभाल, व्यक्तिगत देखरेख योजना पर प्रकाश डाला।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने समस्या बतायी कि बाल व महिला अधिकार संरक्षण के प्रकरणों में पटवारी क्षेत्रों में जांच में देर होती है। कार्यक्रम का संचालन अंजना गुप्ता, प्रीति उपाध्याय व समीक्षा शर्मा ने किया।

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