देश में कोयला आपूर्ति को लेकर रेलवे ने कहा, कोयला संकट के लिए कोल निगम, एनटीपीसी की कार्यप्रणाली जिम्मेदार

नयी दिल्ली । देश में कोयला आपूर्ति कम होने के कारण उत्पन्न बिजली संकट के लिए भले ही रेलवे को जिम्मेदार बताया जा रहा हो लेकिन रेलवे का कहना है कि इसके लिए राष्ट्रीय तापविद्युत निगम (एनटीपीसी) और कोयला कंपनियों की कार्यप्रणाली में त्रुटियां जिम्मेदार है।

रेलवे के सूत्रों ने इस पूरे मामले में कुछ विवरण साझा किये हैं जिनसे पता चलता है कि कोयला संकट के लिए मुख्य रूप से खदानों में कोयला की लदान और बिजली संयंत्रों में कोयले को उतारने में पांच पांच दिन का समय लगने, बिजली संयंत्रों में पर्याप्त भंडारण नहीं करने तथा मालगाड़ियों के रैक लंबे समय तक अटकाये रखने के कारण यह संकट बढ़ा है।

रिपोर्टों के अनुसार देश में इस समय कोयले के संकट गहरा रहा है। कई राज्यों में कोयले की भारी कमी हो गई है और तापविद्युत संयंत्र को कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसका नतीजा कई राज्यों में बिजली में कटौती के रूप में सामने आ रहा है। राजस्थान के 7 में से 6 बिजली संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहे हैं।

इसी तरह पश्चिम बंगाल के सभी 6 बिजली संयंत्र, उत्तर प्रदेश के 4 में से 3 बिजली संयंत्र, मध्य प्रदेश के 4 में से 3, महाराष्ट्र में 7 में सभी 7 और आंध्र प्रदेश के सभी 3 बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार बहुत कम रह गया है।

कुल मिलाकर देशभर के 85 तापीय बिजली संयंत्र में कोयले का भंडार गंभीर रूप से कम रह गया है। इसी बीच अप्रैल महीने से ही पड़ रही भीषण गर्मी ने बिजली की मांग बढ़ा दी है।

संभावना जतायी जा रही है कि यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह संकट और बड़ा हो सकता है। बताया गया है कि गत एक अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच कई खदानों में कोयले की ढुलाई हड़ताल और कुछ अन्य वजहों से प्रभावित हुई। मसलन इस दौरान ईस्टर्न कोल फील्ड में 2 दिनों तक हड़ताल चली।

कोल कारपोरेशन लिमिटेड की पांच खदानों से करीब 10 दिनों तक कोयले की ढुलाई हड़ताल की वजह से बंद रही। एमसीएल तालचेर में 3 दिनों तक हड़ताल रही। राजस्थान के परसा एवं कांते से 11 की जगह केवल 4 रैक कोयले की ढुलाई हुई।

एनटीपीसी के पाकरी बडवाडीह में 9 दिनों तक 8 की जगह महज आधे रैक की ढुलाई हुई। कोरबा कॉम्पलेक्स से हर दिन 12 की जगह केवल 6 रैक कोयले की ढुलाई हुई। यानी इस दौरान हर रोज करीब 35 रैक कम कोयले की ढुलाई हो सकी और इससे विद्युत संयंत्रों में कोयले का भंडारण प्रभावित हुआ है।

रेलवे की तरफ से सितंबर 2021 से लेकर इस वर्ष फरवरी तक हर रोज 305 रेल कोयले की ढुलाई हो रही थी। फरवरी में ही कोयला मंत्रालय की मांग के बाद इसे हर दिन 396 रैक किया गया। रेलवे ने 91 रैक यानि 5278 अतिरिक्त वैगन कोयले की ढुलाई में लगाये। बाद में फरवरी में ही यह संख्या 405 कर दी गई।

फिर 19 अप्रैल को कोयले के संकट पर कोयला, ऊर्जा और रेल मंत्रालय की एक बैठक में रेलवे से कोयले की ढुलाई के लिए और रैक की मांग की गई थी। रेलवे ने इसके लिए 415 रैक देने का वादा किया था और फिलहाल उसने 410 रैक मुहैया करा दिये हैं।  बाद में क्या करेंगे। क्योंकि ये इस समय उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति में तो काम आएंगे लेकिन बाद में इनकी जरूरत शायद ही पड़े तो फिर इतना निवेश करने के बाद उसका रिटर्न क्या मिलेगा। सूत्रों ने यह भी बताया कि हर साल गर्मी बढ़ने के साथ ही आमतौर पर इस तरह के संकट का सामना करना होता है।

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