नैनीताल। उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। अभी तक प्रदेश में वनाग्नि की कुल 1006 घटनायें सामने आ चुकी हैं जिसके कारण वन विभाग को अभी तक 4050779 रूपये का नुकसान हुआ है।
प्रदेश वन विभाग से आज मिली जानकारी के वनाग्नि के कारण 1484.46 हेक्टेयर क्षेत्रफल वनाग्नि की भेंट चढ़ चुका है। गढ़वाल परिक्षेत्र के मुकाबले कुमाऊं में आग की घटनायें अधिक हुई हैं।
गढ़वाल में अभी तक कुल 489 घटनायें सामने आयी हैं जबकि कुमाऊं में आज शुक्रवार तक 517 घटनायें प्रकाश में आयी हैं। इनमें सिविल सोयम/वन पंचायत के जंगल भी शामिल हैं।
कुछ क्षेत्रों में वनाग्नि की घटनाओं ने भीषण और व्यापक रूप लिया है। इसके चलते कुमाऊं में एक व्यक्ति को जान गंवानी पड़ी है जबकि गढ़वाल तथा कुमाऊं मंडल में एक-एक लोग घायल हुए हैं।
वन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में आग की घटनाओं के चलते 19.34 हेक्टेअर में पौधारोपण प्रभावित हुआ है। इसी प्रकार अभी तक कुल 15503 पेड़ जल कर खाक हुए हैं।
वन विभाग की ओर से 6059 लोगों को वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में लगाया गया है। वन विभाग के अनुसार प्रदेश में वनाग्नि की सबसे अधिक घटनायें अल्मोड़ा जिले में सामने आयी हैं।
यहां अभी तक कुल 223 घटनायें हो चुकी हैं जबकि आग लगने की सबसे कम 01 घटना तराई के उधमसिंह नगर जिले में सामने आयी है। इसी प्रकार बागेश्वर जिले में 92, चमोली में 86, चंपावत 20, देहरादून में 31, हरिद्वार में 12, नैनीताल में 56, पौड़ी में 148, पिथौरागढ़ में 125, रूद्रप्रयाग में 07, टिहरी में 92, उत्तरकाशी जिले में 113 घटनायें आग की घटित हुई हैं।
इनमें 272 घटनायें सिविल सोयम/वन पंचायत क्षेत्र में घटी हैं। इसी प्रकार आग के कारण अल्मोड़ा में सबसे अधिक 493.95 हेक्टेयर वन क्षेत्रफल प्रभावित है।
इसी प्रकार बागेश्वर जिले में 132.8 हेक्टेयर, चमोली में 103.25, चंपावत में 15.05, देहरादन में 33.2, हरिद्वार में 10.4 , नैनीताल में 51.41, पौड़ी में 244.4, पिथौरागढ़ में 200.75, रूद्रप्रयाग में 8.75, टिहरी में 92.1, उधमंिसह नगर में 0.25 तथा उत्तरकाशी जिले में 118.15 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है।