लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा नदी के पुनरुद्धार से जुड़े ‘नमामि गंगे अभियान’ को भारत की नदी संस्कृति को पुनर्जीवित करने वाला बताते हुए दावा किया कि उत्तर प्रदेश में यह अभियान पूरी तरह से सफल साबित हुआ है और आज प्रदेश में एक बूंद भी सीवर का पानी गंगा में नहीं गिरता है।
यहां गंगा यात्रा कार्यक्रम में शिरकत करते हुए योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू किया गया नमामि गंगे अभियान आजादी के बाद भारत की नदी संस्कृति को पुनर्जीवित करने की महत्वपूर्ण योजना है। उन्होंने कहा कि 25 सौ किलोमीटर लंबे अपने प्रवाह में पांच राज्य में से उप्र में यमुना और गंगा मां का सबसे ज्यादा आशीर्वाद है।
योगी ने कहा कि मां गंगा से जुड़ी योजनाएं पहले भी बनती थी और 1986 में गंगा एक्शन प्लान शुरू भी हुआ। केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर इस योजना से जुड़कर कार्य करना था। इसमें बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश तीन राज्य थे। लेकिन नमामि गंगे योजना के पहले जब गंगा नदी का मूल्यांकन किया तो पता चला की गंगा सर्वाधिक प्रदूषित है।
उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि नमामि गंगे का ये अभियान उप्र में सफल हुआ। उत्तर प्रदेश के कानपुर में गंगा की स्थिति पीड़ादायक थी। इसके जल में जीव नष्ट हो जाते थे। लगातार 100 साल से सीसामऊ से रोज 14 करोड़ लीटर सीवर इसमें गिरता था। योगी ने कहा कि उनकी सरकार ने इस सीवर प्वाइंट को अब सेल्फी प्वांइट में बदल दिया है।
आज एक बूंद भी सीवर गंगा में नहीं गिरता है और जल के साथ जीव भी यहां सुरक्षित हैं। प्रयागराज में 2019 में आयोजित हुए कुंभ की सफलता की कहानी भी स्वच्छता और अविरल निर्मल गंगा की गाथा को कहती है। योगी ने कहा कि काशी में गंगा निर्मल दिखती है। आज गंगाजल आचमन और पूजा करने योग्य हो गया है। यहां डॉल्फिन भी दिखाई देती है।
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की योजना को ध्यान में रखते हुए नदियों में कचरे के प्रवाह को रोकने का कार्य किया। जिसमें से अब तक 46 में से 25 का काम पूरा हो चुका है, 19 में काम चल रहा है और दो कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सरकार के साथ समाज को भी एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ गंगा ही नहीं गंगा के साथ उसकी 10 सहयोगी नदियों को भी ध्यान में रखकर अपना योगदान देना चाहिए।