नई दिल्ली । लोकसभा में भाजपा के सदस्य ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा का मुद्दा उठाया और राज्य में तृणमूल कांग्रेस के शासन में कानून एवं व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार से संविधान के उचित अनुच्छेद के तहत हस्तक्षेप करने की मांग की।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि बीरभूम जिले में जो कुछ भी हुआ है, उसका राजनीतिक संघर्ष से कोई लेना-देना नहीं है तथा इस घटना के सिलसिले में राज्य की पुलिस ने अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है। शून्यकाल के दौरान भाजपा के सुकांत मजूमदार ने निचले सदन में इस विषय को उठाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध पंचायत स्तर के एक उप प्रमुख की हत्या के बाद प्रतिशोध के रूप में हिंसा शुरू हुई।
उन्होंने दावा किया कि पांच घरों में आग लगा दी गई और लोग बाहर नहीं निकल पाएं, इसके लिये बाहर से दरवाजे पर ताला लगा दिया गया। मजूमदार ने कहा कि इस घटना में मारे गए लोगों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शामिल हैं। भाजपा सांसद ने इस घटना में कई लोगों के लापता होने का भी दावा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले एक हफ्ते में ही राजनीतिक हिंसा में कई लोगों के मारे जाने की खबरें हैं। मजूमदार ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो चुकी है और वहां विधानसभा चुनाव के बाद से राजनीतिक हिंसा जारी है। उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं।
भाजपा सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार को संविधान के तहत प्रदत्त अधिकार एवं उसके उचित अनुच्छेद का प्रयोग करते हुए हस्तक्षेप करना चाहिए। सुकांत मजूमदार भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष भी हैं। शून्यकाल शुरू होने पर भाजपा के कई सदस्यों को इस संबंध में तख्तियां दिखाते देखा गया और उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए। इन आरोपों का खंडन करते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि बीरभूम जिले में जो कुछ भी हुआ है, उसका राजनीतिक संघर्ष से कोई लेना-देना नहीं है तथा इस घटना के सिलसिले में राज्य की पुलिस ने अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने भाजपा से इस मामले में राजनीति नहीं करने को कहा।