देहरादून। चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद रार थमने को नहीं है। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और रणजीत रावत के बाद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल को मुंह खोलने को विवश होना पड़ा है।
कुंजवाल ने कहा है कि कांग्रेस की हार के लिए गुटबाजी जिम्मेदार है और इसमें प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की भूमिका महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस संगठन में चुनाव के दौरान ही सामंजस्य नहीं दिखा। सीएम चेहरे को लेकर अंतिम दिनों तक खींचतान चलती रही। यही नहीं टिकट बंटवारे को लेकर चली घमासान किसी से छिपी नहीं है। जिसका नतीजा यह रहा कि कांग्रेस 19 पर सिमट कर रह गयी। ऐसे में स्वाभाविक है कि पार्टी की भीतर अन्तर कलह सतह पर आनी ही थी। पिछले दिनों रणजीत रावत के आरोपों से पार्टी का माहौल वैसे ही गर्म है। इन आरोपों पर हरीश रावत को यहां तक बोलना पड़ गया है कि कांग्रेस उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दे।
हार का यह दर्द अभी जल्द खत्म नहीं होने वाला है। वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने संगठन की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठा दिये हैं। उन्होंने गोदियाल का बचाव करते हुए कहा है कि कांग्रेस ने चुनाव से गणेश गोदियाल को अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी, लेकिन संगठन की पहले से घोषित टीम को नहीं बदला गया। चुनाव के दौरान स्थिति यह रही कि अध्यक्ष के अलावा संगठन में अन्य पदों पर आसीन लोग वही थे जो पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह के समय में नियुक्त किये गये थे। गोदियाल ने आरोप लगाया है कि पहले से नियुक्त लोगों ने नये अध्यक्ष को उतना सहयोग नहीं किया, जितनी आवश्यकता थी। यह भी चुनाव में हार का बड़ा कारण बनी। ये बातें चुनाव के दौरान भी उठी कि तमाम जिलाध्यक्ष असहयोग का रवैया अपनाये हुए हैं, लेकिन प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। कुंजवाल का कहना है कि कांग्रेस की हार के लिए यह भी बड़ा कारण बना। कुंजवाल ने इस बात पर भी फोकस किया है कि ज्यादातर लोग प्रीतम सिंह के समय नियुक्त हुए थे, इसलिए गोदियाल ऐन चुनाव के समय पर उन पर नियंत्रण नहीं कर पाये, क्योंकि ये सारे लोग दूसरी तरफ से गाइड हो रहे थे। उन्होंने सुझाव भी दिया है कि आने वाले समय में कांग्रेस बेहतर काम करे, इसके लिए संगठन की मजबूती और गुटबाजी का खात्मा करना होगा।