बागेश्वर । मतदान को एक सप्ताह हो चुका है। पहले जीत का दावा करने वाले प्रमुख दलों में अब बेकरारी बढ़ गई है। अब वे मतदाताओं की टोह लेने का प्रयास कर रहे हैं परंतु मतदाताओं की चुप्पी ने इस बेकरारी को बढ़ा दिया है। कुछ मतदाता ही प्रत्याशियों को ऐसा गणित समझा रहे हैं कि प्रत्याशी के समर्थक ही उलझ जा रहे हैं।
मतदान हुए सोमवार को एक सप्ताह बीत चुका है। मतदान के दिन प्रत्याशी व उनके समर्थकों के पास सकारात्मक समाचार आए तथा उन्होंने अपनी विजय सुनिश्चित मानकर चैन की नींद से चुनावी थकान मिटाई। एक सप्ताह तक प्रत्याशी जनता के बीच जाकर उनका आभार व्यक्त करने लगे तो समर्थक मतदाताओं से चुनावी चर्चा करके आंकड़ा लेने लगे तो मतदाताओं की चुप्पी ने उनका गणित नहीं लग पाया।
कुछ मतदाताओं ने चुप्पी तोड़ भी तो साथ में प्रत्याशी व उनके समर्थकों को स्वयं को उनका पक्ष का ही बताया साथ ही अन्य मतदाताओं के रूख का ऐसा गणित समझाया कि अब तक उनके द्वारा बनाया गया जीत का गणित ही फेल होने लगा है। जो कल तक जीत सुनिश्चित बता रहे थे वे अब यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि इस बार टक्कर है कुछ कहा नहीं जा सकता।
यदि ऐसा नहीं हुआ तो जीत पक्की
प्रत्याशियों के समर्थक कह रहे हैं कि जीत पक्की है परंतु यदि उस क्षेत्र में ऐसा नही हुआ होगा तो तभी हम जीतेंगे। साथ ही कहने लगे हैं कि विपक्षी प्रत्याशी ने अमुख क्षेत्र में अपना अच्छा प्रभाव बनाने की जानकारी मिली है जिससे वहां से चुनावी गणित बदल सकता है।
गत मतदान से मामूली अंतर से बढ़ा चिंता
जनपद में 2017 के चुनाव में हुए मतदान व इस बार के मतदान में मामूली अंतर है। जिससे राजनीतिक दलों के चुनावी गणितज्ञ कुछ अनुमान नहीं लगा रहे हैं उन्हें यह नहीं मालूम हो रहा है कि यह मतदाता गत चुनावों का मतदाता था या इसमें नया मतदाता भी था।
चुनाव के मुख्य मुददा क्या रहा, नही है जानकारी
इस बार चुनाव में जनता ने किस मुददे पर वोट किया इसका पता नहीं चल पा रहा है। हालांकि भाजपा का मानना है कि मोदी लहर व केंद्र की विभिन्न योजनाओं को जनता ने मुददा बनाया तो कांग्रेस का कहना है कि चुनाव में परिवर्तन व रोजगार, विकास मुद्दा रहा तथा कांग्रेस के पक्ष में मतदान हुआ। जबकि आप का कहना है कि दिल्ली माडल को ध्यान में रखकर मतदाता ने वोट किया।