- 2022 में भी पुरुषों से 4.6 फीसद अधिक महिलाओं ने वोट डाले
देहरादून। क्या विधानसभा चुनाव में महिलाओं का पुरुषों से ज्यादा वोट के लिए निकलना सरकार बदलने के संकेत हैं। माना जाता है कि महिलाओं महंगाई-बेरोजगारी, समाज में सुरक्षा जैसे असली मुद्दों से अधिक प्रभावित होती हैं लेकिन महिलाओं को धार्मिक रुढ़ियों में होने वाली परवरिश भी उन पर असर डालती है मगर 2002 के बाद से हर विस चुनाव तो यही इशारा कर रहा है।
हालांकि 2017 से मोदी फैक्टर और भाजपा की ग्रामीण इलाकों तक पहुंच बढ़ने से सियासी पंडित ठीक से अनुमान नहीं लगा पा रहे पर 2022 के विस चुनाव में जहां 62.6 फीसद पुरुष वोटर मत डालने आए वहीं 67.20 फीसद महिला व 25.35 फीसद थर्ड जेंडर के वोटरों ने वोट डाला यानी पुरुषों से 40.60 फीसद अधिक महिलाओं ने वोट डाले। वैसे इन आंकड़ों में अभी सर्विस वोटर शामिल नहीं होंगे।
बहरहाल, राज्य के पहले चुनाव में 2002 में पुरुष वोटरों में 55.95 फीसद तो महिलाओं में से 54.34 प्रतिशत ने वोट किया। इस तरह से पुरुष महिलाओं से 10.61 फीसद वोट से आगे थे। 2002 में कांग्रेस सत्ता में आई थी। लेकिन इसके बाद से महिलाओं ने रुख बदल दिया और वे पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान करने लगीं। 2007 में 58.95 फीसद पुरुष व 59.45 प्रतिशत महिलाओं ने वोट किया यानी पुरुषों से महज 0.50 फीसद अधिक। सत्ता बदली और भाजपा उक्रांद व अन्य की मदद से सरकार बनाने का मौका मिला।
2012 में 64.41 फीसद पुरुष व 68.12 प्रतिशत महिलाओं ने वोट किया यानी पुरुषों से 30.71 फीसद अधिक। सूबे में फिर सरकार बदली और कांग्रेस को बसपा व निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाने का मौका मिला। 2017 में यह प्रवृत्ति और बढ़ी। 2017 के विस चुनाव में 6.11 फीसद पुरुषों तो 68.72 प्रतिशत महिलाओं ने वोट किया । इस बार महिलाओं मतदान करने में पुरुषों से बहुत आगे यानी 70.61 फीसद आगे निकल गईं।
नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को करीब-करीब नेस्तनाबूद कर भाजपा को 57 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला। इस बार के यानी 2022 के विस चुनावों में फिर से महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया है। अब देखना है कि दस मार्च को आने वाले चुनाव नतीजों पर यह बदलाव क्या असर डालता है।