कुमाऊं : रावत और धामी के साथ 241 का भाग्य ईवीएम में कैद

हल्द्वानी। अगली सरकार किसकी कौन होगा मुख्यमंत्री गढ़ी कैंट रोड सीएम आवास में रावत जाएंगे या धामी इस पर लालकुआं ,खटीमा के मतदाताओं ने अपना फैसला ईवीएम के बाद सुरक्षित रख दिया है। 10 मार्च को मतगणना की गिनती के साथ ही तस्वीर साफ हो जाएगी।

तब इनसे जुड़े कई सवालों के जवाब भी मिलेंगे। इसके इतर कुमाऊं की उन्नतीस विस सीटों के आधे दर्जन दिग्गज नेताओं के साथ ही 241 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो गया है। इसके साथ ही ईवीएम में चुनाव में छाए मुद्दों की छाप और नेताओं के बोल और प्रतिज्ञा पत्र, संकल्प पत्र को स्वीकारने या नकारने की रिपोर्ट भी तैयार हो जाएगी।

एक तरह से सोमवार को कुमाऊं के साथ ही उत्तराखंड एक नए इतिहास की पटकथा तैयार कर दी है। मतदान के दिन के रुझान से विकास के साथ ही सांप्रदायिक मुद्दों पर मतदाताओं में भटकाव देखने को मिला है।

करीब एक पखवाड़े के तूफानी चुनाव प्रचार के बाद प्रत्याशियों के होमवर्क की परीक्षा की घड़ी आ गई है। सोमवार को सुबह आठ बजे से मतदान शुरू होते ही परीक्षक ( मतदाता) प्रत्याशियों को नंबर देने देने शुरू किया और सूरज ढलने के साथ ही नए इतिहास का सृजन हो गया है। अब इसका लोकार्पण दस मार्च को मतगणना के साथ शुरू होने लगेगा। राज्य गठन के बाद पहली बार कुमाऊं चुनाव के केंद्र में है।

लालकुआं से कांग्रेस के अघोषित सीएम उम्मीदवार हरीश रावत तो नेपाल और यूपी की सरहद से सटी खटीमा सीट से भाजपा के भावी सीएम चुनाव लड़ रहे हैं। तमाम सर्वे रिपोर्ट में खटीमा में पुष्कर सिंह धामी को त्रिकोणीय संघर्ष में खड़ा पाया है तो लालकुआं में कांग्रेस के भावी सीएम पहली बार खुली बैटिंग कर रहे हैं।

इससे पहले के चुनाव में कुमाऊं से कोई भी सीएम का चेहरा नहीं था। 2002 में कांग्रेस ने हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव जो लड़ा लेकिन सीएम एनडी तिवारी को बनाया गया। 2007 में भी कांग्रेस ने सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया। भाजपा का भी कोई चेहरा सामने नहीं था।

2012 में भाजपा ने सीएम का चेहरा घोषित किया तो खंडूड़ी जरूरी होने के बावजूद हार गए। 2017 में कांग्रेस सीएम चेहरे ने हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से चुनाव लड़ा और वे दोनों सीटों में चुनाव हार गए। तब भाजपा ने किसी को भी सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया था।

इस बार कांग्रेस ने प्रत्यक्ष तौर पर तो सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया,लेकिन चुनाव संचालन समिति का मुख्या बनाकर हरीश रावत को ही अप्रत्यक्ष तौर पर सीएम का चेहरा घोषित किया है। भाजपा ने इस बार धामी सरकार को जरुरी माना है।

कुमाऊं में इसके इतर बड़े नेताओं में काबीना मंत्री बिशन सिंह चुफाल (डीडीहाट) रेखा आर्य (सोमेश्वर),अरविंद पांडे (गदरपुर), बंशीधर भगत ( कालाढूंगी) के साथ ही कांग्रेस के पूर्व काबीना मंत्री तिलकराज बेहड़ (किच्छा), यशपाल आर्य ( बाजपुर), पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल (जागेश्वर) की तकदीर भी कैद हो जाएगी।

यह भी पता चलेगा कि इस बार के चुनाव में जनता जर्नादन ने विकास, आर्थिक व्यवस्था,महंगाई, रोजगार, पलायन, राजधानी, नए जिलों का गठन एवं बुनियादी समस्याओं पर चोट की या मतदाता राजनेता के भाषणों में ही बह कर नई सरकार की गठन की राहत तय कर रहे हैं।

राज्य के गठन के 21 साल तीन माह के सफर को लेकर आम व्यक्ति किसी भी सरकार को जन अपेक्षाओं में खरा नहीं उतार पाता है। गाए बगाहे इस तरह की बात दिखती रहती है।

अब पांचवी विस के चुनाव में मतदाताओं के कांग्रेस, भाजपा के घोषणापत्र पर विश्वास किया या नहीं इस पर भी आज ही ईवीएम के बटन दबाते रहेंगे और नई तकदीर का खाका तैयार हो जाएगा।

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