नयी दिल्ली । केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए तेजी से की गयी कार्रवाईयों को सही करार देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय टीकाकरण ने देश की बड़ी आबादी को सुरक्षा कवच उपलब्ध कराया है और इससे अर्थव्यव्यवस्था में सुधार हुआ है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा कि पिछले दो सालों में भारत ने शेष विश्व के साथ ही महामारी की भयावहता का सामना किया है। इस दौरान केन्द्र सरकार का मुख्य ध्यान समाज के निम्न तबकों को सुरक्षा कवच प्रदान करना और महामारी के कुप्रभाव से निपटने पर रहा।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि अनिश्चित माहौल में तेजी से निर्णय लेने के काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं। भारत ने कोविड-19 से निपटने और उसके प्रबंधन के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया।
इसके तहत प्रतिबंध एवं आंशिक लॉकडाउन स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना में क्षमता निर्माण कोविड मानक का पालन, परीक्षण, उपचार और टीकाकरण अभियान चलाने जैसे कदम शामिल हैं। वास्तविक समय आंकड़ों तथा साक्ष्य के आधार पर निरंतर बदलती स्थिति के अनुरूप रणनीति बदली गई। देश में परीक्षण क्षमता में त्वरित वृद्धि हुई।
सभी सरकारी केन्द्रों में कोविड-19 की नि:शुल्क जांच की गई। तीव्र जांच के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट किट की शुरूआत हुई। मिशन मोड में एन-95 मास्क, वेंटीलेटर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण किट और सैनिटाइजर की निर्माण क्षमता को बढ़ाया गया।
आइसोलेशन बेड, डेडीकेटिड इंटेंसिव केयर यूनिट बेड और मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति के लिए व्यापक बुनियादी ढ़ांचा तैयार किया गया। दूसरी कोविड लहर के दौरान मेडिकल आक्सीजन की त्वरित मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में रेलवे, वायु सेना, नौसेना तथा उद्योगों को भी शामिल किया।
इस लड़ाई में कोविड टीके, जीवन बचाने तथा आजीविका को बरकरार रखने के मामले में सबसे अच्छे कवच बनकर उभरे। आर्थिक समीक्षा के अनुसार कोविड टीके न केवल महामारी से बचाने में कामयाब रहे बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हुए। अत: अब इन्हें ‘मैक्रो इकोनॉमिक इंडीकेटर’ के तौर पर भी देखा जाना चाहिए।
भारत का राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों में से एक रहा है। इसके तहत न सिर्फ घरेलू स्तर पर कोविड टीके का उत्पादन किया गया, बल्कि इसने अपनी जनसंख्या को, जो कि विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या है, को नि:शुल्क टीका सुनिश्चित किया।
केन्द्रीय बजट 2021-22 में राष्ट्रव्यापी कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के तहत टीका प्राप्त करने के लिए 35 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। बड़े पैमाने और गति से किए गए टीकाकरण के चलते लोगों को उनकी आजीविका सुनिश्चित की जा सकी है। समीक्षा में कहा गया कि भारत विश्व के उन कुछ देशों में शामिल हैं, जो कोविड टीके का उत्पादन कर रहे हैं।
देश ने दो भारत निर्मित कोविड टीकों से शुरूआत की। कोविशील्ड तथा कोवैक्सीन भारत में व्यापक रूप से उपयोग किये जाने वाले टीके हैं। प्रत्येक माह कोविशील्ड की लगभग 27 करोड़ तथा कोवैक्सीन की छह करोड़ खुराकों का उत्पादन किया जा रहा हैं। महामारी ने लगभग सभी सामाजिक सेवाओं पर प्रभाव डाला है, लेकिन इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित रहा।
वर्ष 2019-20 (कोविड-19 पूर्व) में जहां स्वास्थ्य क्षेत्र पर 2.73 लाख करोड़ रुपये व्यय किए गए थे, वहीं 2021-22 में इस पर 4.72 लाख करोड़ रुपया व्यय किया गया, जोकि करीब 73 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
समीक्षा में कहा गया कि 2021-22 के केन्द्रीय बजट में 64,180 करोड़ रुपये की लागत से अगले पांच साल में प्राथमिक, सैकेंडरी और क्षेत्रीय स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था का क्षमता निर्माण करने का प्रावधान किया।
इसके अलावा केन्द्रीय बजट 2021-22 में कोविड-19 टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना 2017 का लक्ष्य सरकार का स्वास्थ्य व्यय 2025 तक बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत करना है।
इसके अनुसार, इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर केन्द्र और राज्य सरकारों का स्वास्थ्य क्षेत्र पर परिव्यय 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद के 1.3 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 2.1 प्रतिशत हो गया है।