नयी दिल्ली । विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में कहा की भारत और चीन के संबंध विशेष तौर पर खराब दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि चीन ने कुछ ऐसी गतिविधियां की हैं, जिस पर उसने अब तक ‘विश्वसनीय स्पष्टीकरण’ नहीं दिया है।
उन्होंने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से कई बार ‘स्पष्ट रूप से’ बात की है, और भारत ने चीन को जो संदेश दिया है, उसमें ‘स्पष्टता की कोई कमी नहीं’ है।
यहां ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमिक फोरम में वृहद सत्ता प्रतिस्पर्धा: उभरती हुई विश्व व्यवस्था विषय पर आयोजित गोष्ठी में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, मुझे नहीं लगता कि चीन को इस बारे में कोई संदेह है कि हमारे संबंधों में हम किस मुकाम पर खड़े हैं और इसके साथ क्या गड़बड़ी हुई है।
मेरे समकक्ष वांग यी के साथ मेरी कई बार मुलाकात हुई है। जैसा कि आपने भी यह महसूस किया होगा कि मैं बिलकुल स्पष्ट बात करता हूं, अत: समझा जा सकता है कि स्पष्टवादिता की कोई कमी नहीं है। यदि वे इसे सुनना चाहते हैं तो मुझे पूरा भरोसा है कि उन्होंने सुना होगा।
चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, हम,
अपने संबंधों में विशेष तौर पर खराब दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि उन्होंने समझौतों
का उल्लंघन करते हुए कुछ ऐसे कदम उठाये हैं जिनके बारे में उनके पास अब तक
ऐसा स्पष्टीकरण नहीं है, जिस पर भरोसा किया जा सके। यह इस बारे में संकेत देता
है कि यह सोचा जाना चाहिए कि वे हमारे संबंधों को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं, लेकिन इसका जवाब उन्हें ही देना है।
गौरतलब है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर
गतिरोध के हालात बीते वर्ष पांच मई को बने थे। पैंगांग झील से लगते इलाकों में
दोनों के बीच हिंसक संघर्ष भी हुआ था और दोनों देशों ने अपने हजारों सैनिक और
हथियार वहां तैनात किये थे।
पिछले वर्ष 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद तनाव और भी बढ़ गया था।
कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के बाद दोनों पक्ष फरवरी में पैंगांग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से तथा अगस्त में गोगरा इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए राजी हो गये। सैन्य वार्ता पिछली बार 10 अक्टूबर को हुई थी जो बेनतीजा रही।