अपनों के बीच जाकर बचपन के ही ‘ भगतदा’ हो गए महाराष्ट के गवर्नर
रात को मडुवे की रोटी व गेठी की सब्जी तो सुबह दलिया का नाश्ता
- तडके सुबह उठकर पूजा अर्चना, कुल देवी के दर्शन को कई किमी चले पैदल
नामती चेटाबगड़। महाराष्ट के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी अपने पैतृक गांव आते ही ‘ भगत दा’ हो गए। उन्होंने गृह देवता के यहां पूजा अर्चना की तथा मडुवे की रोटी के साथ गेठी की सब्जी खाई। सुबह तड़के उठकर स्नान किया तथा पूजा अर्चना की व कुल देवी के मंदिर जाकर दर्शन किए। पंरपमरानुसार धूनी की बबूती लगाई। बाद में भैयादूज पर गुंठी जाकर दीदी का हालचाल जाना साथ ही गांव के लोगों से बातचीत की।
पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में महाराष्ट के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी शुक्रवार की सायं अपने घर पहुंचे तो बहू हेमा कोश्यारी व भतीजी छाया कोश्यारी ने तिलक लगाकर उनका स्वागत किया।
इसके बाद भगतदा ने घर के आस पास का निरीक्षण किया तथा गर्म पानी पिया। इसके बाद मुंह हाथ धोया तथा अपने कक्ष में जाकर गर्म कपड़े व मफलर डाला और गृह देवता के मंदिर में पूजा अर्चना की।
इसके बाद पंखी ओढ़कर परिजनों के बीच आ गए। तब तक गांव के उनके पुराने मित्र भी आ गए तो उनके साथ ठेठ पहाड़ी अंदाज में बात की। पूरे कार्यक्रम के दौरान वे लाव लश्कर से दूर रहे।
उनकी भतीजी छाया कोश्यारी ने बताया कि सुबह वे अन्य दिनों की तरह तीन बजे उठे तथा नित्यकर्म करके नहाया और घर में मंदिर में ही पूजा अर्चना की। इसके बाद कुछ लोगों से मुलाकात की तथा साढ़े पांच बजे कुल देवी भगवती देवी के दर्शन किए तथा वहां की धूनी की बबूती लगाई।
राह चलते जो मिला उससे अपने पुराने मित्रों व उनके परिवार की कुशल क्षेम पूछी। सुबह नाश्ते में फल, दलिया खाया व आलू के गुटके का स्वाद चखा। इसके बाद समीप के गांव गुंठी गए तथा अपनी 84 वर्षीय दीदी भागुली देवी के यहां जाकर भैया दूज का त्योहार मनाया व उसे उपहार भेंट किए।
इसके बाद वे अपने परिजनों व ग्रामीणों के हाल चाल जानते हुए शामा को निकल गए। भगत दा इस बीच फोन से अपने अन्य राजकीय कार्यों को भी निपटाते रहे।