अजय टम्टा ने पर्वतीय क्षेत्रों में किए जा रहे कृषि कार्यों को सराहा

संस्थान के निदेशक डॉ लक्ष्मी कान्त ने पर्वतीय खेती की उपलब्धियों पर रोशनी डाला

अलमोड़ा। विवेकानन्द कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र, हवालबाग में शनिवारको रबी किसान मेले का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर बोलते हुए कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सांसद अजय टम्टा ने संस्थान द्वारा पर्वतीय कृषि पर किये जा रहे शोध कार्याें की सराहना करते हुए इस संस्थान के वैज्ञानिकों को बधाई दी।

उन्होंने कृषकों को भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया। उनके द्वारा समस्त किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के उद्देश्य एवं उसके लाभ से अवगत कराया गया।

उन्होंने कहा कि पानी की उपलब्धता के आधार पर गॉंव तक मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।इसके लिए उनके द्वारा डा. पी.के. पाण्डे से आग्रह किया गया।

किसानों को अपने आप में एक वैज्ञानिक बताते हुए उन्हेांने कहा कि किसानों को अपनी समस्याओं को वैज्ञानिकों के समक्ष रखना चाहिए जिससे कि वैज्ञानिकों द्वारा इसका समाधान किया जा सके।

इस अवसर पर बोलते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने संस्थान द्वारा पर्वतीय कृषि के विभिन्न पहलुओं पर किये जा रहे शोध कार्याे की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए किसानों का आर्थिक रूप से मजबूत होना अत्यन्त आवश्यक है।

हमारा देश कृषि प्रधान देश है एवं वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी किया जाना हमारा लक्ष्य है।

उन्होंने बताया कि पर्वतीय कृषि वर्षाश्रित खेती है। साथ ही उनके द्वारा पर्वतीय फसलों के औषधीय महत्व पर चर्चा की गई।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. पी.के. पाण्डे, निदेशक, भाकृअनुप-शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान देशवासियों को भोजन किसानों के परिश्रम से ही प्राप्त हुआ है इसके लिए हमारे सभी कृषक बन्धु बधाई के पात्र हैं।

उन्होंने पहाड़ के युवाओं व पानी को अक्षुण्ण रखने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमारे कास्तकार बन्धु मत्स्य पालन अपना कर अपनी आमदमी को दो से तीन गुना बढा सकते हैं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे केन्द्र निदेशक आकाशवाणी, अल्मोड़ा के केन्द्र निदेशक प्रतुल जोशी ने पर्वतीय कृषि पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि हमारी कृषि मजबूत होगी तो हमारे लोकपर्व भी मजबूत होंगे।

किसान मेले के अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कांत ने समस्त आगन्तुकों का स्वागत करते हुए पर्वतीय कृ़िष के क्षेत्रों में संस्थान द्वारा चलायी जा रही विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

पर्वतीय कृषि की जटिलताओं के मध्य एवं बदलती हुए पर्यावरणीय संरचना में वर्तमान में पर्वतीय कृषि को आर्थिक तौर पर समृद्ध बनाने हेतु उन्नत तकनीकों का समावेश की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर, सस्थान द्वारा वर्ष के दोरान विमोचित की गयी 2 किस्मों क्रमशः वी.एल. गेहूं 2014 एवं वी.एल. गेहूं 3004 का लोकार्पण किया गया। साथ ही अध्यक्ष, मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा संस्थान के प्रकाशनों नामत, पर्वतीय कृषि दर्पण, जुलाई-दिसम्बर 2020 व प्रसार-प्रपत्रों, “उन्नत सब्जी पौधशाला प्रबन्धन”, “पर्वतीय क्षेत्रों हेेतु सुवाहय (पोर्टेबल) पॉलीहाउस” एवं “उत्तर-पश्चिमी हिमालयी राज्यों में आलू की उन्नत खेती” का विमोचन किया गया। प्रगतिशील किसानों नरेन्द्र सिंह,भुपेन्द्र जोशी, राम भरोसे राणा एवं रणु लाल को इस अवसर पर सम्मानित किया गया तथा कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का भी वितरण किया गया।
संस्थान के प्रक्षेत्र में आयोजित प्रदर्शनी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनेक संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों द्वारा प्रतिभागिता की गयी एवं 28 प्रदर्शनियॉं लगायी गयी।

इस अवसर पर पूर्व निदेशक डा. जे.सी. भट्ट, जिला उद्याान अधिकारी टी.एन. पाण्डे, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. रवीन्द्र चन्द्रा, खण्ड विकास अधिकारी, प्रैस मीडिया से आये प्रतिनिधि सहित विभिन्न संस्थानों एवं विभागों के वैज्ञानिक एवं अधिकारी गण उपस्थित थे।
मेले में उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 700 कृषकों ने प्रतिभागिता की एवं विभिन्न फसलों एवं प्रदर्शनियों का भ्रमण किया। मेले में आयोजित कृषक गोष्ठी में पर्वतीय कृषि से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी साथ ही कृषकों की विभिन्न समस्याओं का कृषि वैज्ञानिकों द्वारा त्वरित समाधान किया गया। किसान मेले में कृषक गोष्ठी का संचालन कार्यक्रम का संचालन डा. कुशाग्रा जोशी एवं धन्यवाद प्रस्ताव डा. जे.के. बिष्ट, विभागाध्यक्ष ने किया।

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