प्लास्टिक प्रदूषण से नदियों को पहुंच रहे नुकसान पर चर्चा

रोजाना पैदा हो रहा दो हजार टन कचरा

देहरादून । नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण तथा नदियों के माध्यम से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव विषय पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) गोष्ठी आयोजित की गई। बुधवार को एक होटल में आयोजित गोष्ठी में गंगा व उसकी सहायक नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा की गई। सिक्किम के पूर्व संसदीय सदस्य पीडी राय व यूकोस्ट के महानिदेशक डा. राजेन्द्र डोभाल ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। पूर्व मुख्य सचिव एनएस नपल्चयाल आदि ने गोष्ठी में ऑनलाइन प्रतिभाग कर अपने विचार रखे।
उन्होंने प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण और इसके नुकसान पर अपने विचार रखे। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसके सुबुधी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि राज्य में लगभग दो हजार टन कचरा प्रतिदिन पैदा हो रहा है। इस कचरे का पूर्ण रूप से प्रसंस्करण व डिस्पोजल नहीं किया जा रहा है। डा. रूचि बडोला ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष तौर पर धार्मिक तथा पर्यटक स्थल से बडे$ मात्रा में प्लास्टिक नदियों से समुद्र की तलहटी में पहुंच रहा है। अरूण नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय क्षेत्र में प्लास्टिक एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है, जिससे निपटने के लिए राजनैतिक प्रतिबद्धता व नीति को क्रियान्वन करने की आवश्यकता है। गोष्ठी का संचालन विनीता शाह व कृष्णा रौतेला ने किया। एसटीएस लैप्चा, ज्योत्सना शिथलिंग, एसएस रसाइली, विजय कुमार, डा. पीपी बडोनी, डा. डीपी उनियाल आदि ने भी गोष्ठी में अपने विचार रखे।

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