ई पास की बाध्यता समाप्त करने को लेकर केदारघाटी में बाजार रहे बंद

केदारघाटी की जनता ने केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ावों में किया प्रदर्शन

  • केदारनाथ जाने वाले यात्रियों को हुई दिक्कतें
  • नहीं मिला खाने-पीने का सामान
  • स्थानीय जनता की यात्रा को पूर्ण रूप से खोले जाने की मांग
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम आने वाले यात्रियों के लिये ई
पास की बाध्यता को समाप्त करने और केदारनाथ धाम की यात्रा को पूर्ण रूप से खोले जाने को लेकर केदारनाथ धाम सहित सम्पूर्ण केदारघाटी के बाजार बंद रहे। होटल, खोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी संचालक सहित केदारघाटी की जनता ने केदारनाथ यात्रा पड़ावों पर जगह-जगह प्रदर्शन किया।
केदारनाथ और केदारनाथ यात्रा पड़ाव के सभी बाजारों के बंद रहने से यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यात्रियों को गौरीकुंड-केदारनाथ 18 किमी पैदल मार्ग सहित सम्पूर्ण केदारघाटी में चाय-पानी तक नहीं मिल पाया। बाजार बंद रहने से यात्रियों में काफी आक्रोश देखा गया।
बता दें कि कोरोना महामारी कम होने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर 18 सितम्बर से चारधाम यात्रा खोली गई। हाईकोर्ट ने एक दिन में मात्र आठ सौ यात्रियों को केदारनाथ धाम जाने की अनुमति दी है। यात्रियों को केदारनाथ जाने के लिये पहले देवस्थानम बोर्ड की साइट पर जाके ई पास बनाना होगा। बिना ई पास वाले यात्री को केदारनाथ नहीं भेजा जा रहा है। अभी से सात अक्टूबर तक के ई-पास पूर्ण रूप से बुक हो चुके हैं। ऐसे में कई यात्री केदारनाथ धाम की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं और उन्हे आधे रास्ते से वापस लौटाया जा रहा है। ऐसे में केदारनाथ सहित केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग, गौरीकुंड, गुप्तकाशी, फाटा, रामपुर, सीतापुर आदि बाजारों के व्यापारियों, पैदल मार्ग पर संचालित होने वाले घोड़े-खच्चर, डंडी-कंडी संचालकों ने केदारघाटी को बंद रखा। व्यापारियों एवं मजदूरों ने केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग में जमकर प्रदेश सरकार के खिलाफ हंगामा बोला।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी, केदारघाटी होटल एसोसिएशन के सचिव नितिन जमलोकी, तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती, केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, किशन बगवाड़ी ने कहा कि केदारनाथ धाम आने के लिये ई पास की व्यवस्था को समाप्त कर देना चाहिए और यात्रा को पूर्ण रूप से खोल देना चाहिये। यात्री बिना ई पास के वापस लौट रहे हैं। इससे स्थानीय जनता को भी नुकसान हो रहा है। दो साल से कोरोना की मार पड़ी हुई है और अब ई-पास का नियम लागू होने से दिक्कतें बढ़ गई हैं। बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। कई बेरोजगारों के सम्मुख आज भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है। इससे अच्छा होता कि यात्रा को खोला ही नहीं जाता। कनिष्ठ प्रमुख शैलेंद्र कोटवाल ने कहा सरकार का दोहरा मापदंड समझ से परे है। जहां एक ओर सरकार की एसओपी के अनुसार गर्भ गृह में किसी भी तीर्थ यात्री का प्रवेश वर्जित है, वहीं दूसरी ओर कुछ दिन पूर्व दिल्ली से आए पीएम के सलाहकार एवं उप सचिव ने बेखौफ होकर गर्भ गृह में पूजा अर्चना की, जिससे आम श्रद्धालुओं की आस्था पर कुठाराघात हुआ है।
घोड़ा खच्चर संगठन के अध्यक्ष अवतार सिंह नेगी ने कहा कि मजदूर वर्ग हमेशा से ही संघर्ष का पर्याय रहा है। तीर्थ यात्रा खुलने के बाद घोड़े-खच्चर, डंडी-कंडी वाले मजदूरों ने गौरीकुंड केदारनाथ का रुख तो किया है, लेकिन कम संख्या में तीर्थ यात्रियों की आमद से उनकी स्थिति लुटे हुए जुआरी की तरह हो चुकी है।
कतिपय घोड़े खच्चर मालिक अपने घर की ओर वापस रुख कर चुके हैं। कहा कि सरकार ने आगामी चुनाव के मद्देनजर लोगों को दिखाने के लिए यात्रा तो खोल दी, लेकिन अब केदारनाथ धाम से जुड़े सभी व्यवसायियों को सरकार की हकीकत का पता चल गया है। आगामी चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना होगा। वहीं केदारघाटी के बाजार बंद रहने से केदारनाथ जाने वाले यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कुंड से लेकर केदारनाथ धाम तक यात्रियों को कही भी पानी और चाय तक नहीं मिल पाई। यात्री पैदल मार्ग पर भूखे-प्यासे ही यात्रा करते रहे। यात्रियों ने कहा कि सरकार को स्थानीय लोगों की मांग को मान लेना चाहिये और ई पास की बाध्यता को समाप्त करके यात्रा को पूर्ण रूप से खोल देना चाहिये।

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