कुमाऊं में भारत बंद का मिलाजुला असर
मैदानों में समर्थकों के साथ सडक़ में उतरे किसान, पहाड़ों में बेअसर
- कहीं जुलूस निकाला और कहीं व्यापारियों ने खुद बंद किए प्रतिष्ठान
हल्द्वानी । कृषि कानून के खिलाफ किसानों के भारत बंद का कुमाऊं में मिला जुला असर देखने को मिला। हल्द्वानी में आंदोलन समर्थक व्यापारियों ने दुकानें बंद रखी और किसानों के जुलूस में हिस्सा लिया। अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, पिथौरागढ़ एवं अल्मोड़ा में कहीं जुलूस निकला और व्याापारिक प्रतिष्ठान खुले रहे। यहां भारत बंद का असर देखने को नहीं मिला।
सोमवार को हल्द्वानी में किसान विरोधी कृषि कानूनों, कंपनीराज, निजीकरण, सरकारी संपदा को बेचने तथा बेतहाशा बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी के खिलाफ भारत बंद को सफल करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जबरदस्त प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में किसान संगठन, ट्रेड यूनियनों से जुड़े लोग मौजूद थे।
नाराज लोगों ने जुलूस निकाला और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यह जुलूस सुबह आठ बजे मंगल पड़ाव एवं गौला पुल से निकाला गया। जुलूस में शामिल लोगों की अपील पर ठेला, फड़, खोका एवं तमाम व्यापारियों ने अपनी दुकान बंद रखी और भारत बंद आंदोलन को समर्थन दिया। बाद में जंतर मंतर में एक सभा हुई।
इस सभा को महासभा के जिला संयोजक बहादुर सिंह जंगी,भाकपा माले राज्य सचिव राजा बहुगुणा, एक्टू प्रदेश महामंत्री केके बोरा, क्रालोस अध्यक्ष पीपी आर्य, किसान यूनियन के बलजीत सिंह प्रधान, जगविंदर सिंह, गुरजीत सिंह, ऐक्टू नेता डा. कैलाश पाण्डेय, पूर्व ब्लाक प्रमुख संध्या डालाकोटी समेत करीब पांच दर्जन से अधिक लोगों ने केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की।
इस मौक पर अर्जुन सिंह बिष्ट, हरभजन सिंह, सुखजीत सिंह, बलविंदर सिंह, नीमा चंदोला, जगदीश चंद्र, अम्बेडकर मिशन एंड फाउंडेशन के जीआर टम्टा, हरीश लोधी, गोविंद राम गौतम, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी, नीता, मोहन मटियाली, मुकेश भंडारी, टीआर पाण्डे, नफीस अहमद खान, सिराज अहमद, आनंद सिंह दानू, हरीश भंडारी, पूर्व सैनिक एनडी जोशी, सुलेमान समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
विभिन्न राजनैतिक व सामाजिक संगठनों के लोग सड़क पर उतरे
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार को आहूत भारत बंद के समर्थन में विभिन्न राजनैतिक व सामाजिक संगठनों के लोग सड़क पर उतरे और उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने गांधी पार्क (चौघानपाटा) से जुलूस निकाला। इस दौरान शिखर चौराहे पर सांकेतिक चक्काजाम भी किया। प्रदर्शनकारियों केंद्र सरकार से तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे थे। यह जुलूस माल रोड, शिखर तिराहा, लाला बाजार, चौक बाजार, कारखाना बाजार, खजांची बाजार, पल्टन बाजार होते हुए माल रोड होते हुए गांधी पार्क पहुंचे। इससे पूर्व गांधी पार्क में सभा हुई। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने जबरन तीन नये कृषि कानून थोपे हैं और इन्हें वापस लेने की मांग को लेकर देश के किसान पिछले दस माह से आंदोलित हैं, लेकिन सरकार का रूख हठधर्मी रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि आंदोलन के दौरान करीब सात सौ किसान आंदोलन के दौरान जान दे चुके हैं। सभा में उत्तराखंड में भू कानून बनाने की पुरजोर वकालत की। वहीं जंगली के आतंक से पहाड़ की खेती पर पड़ संकट से निजात दिलाने की मांग भी उठी। कार्यक्रम की समाप्ति पर रंगकर्मी स्व. गिरीश तिवारी ‘ गिर्दा’ के प्रेरक जनगीतों गाए गए। इस मौके पर उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, आनंदी वर्मा, हीरा देवी, उक्रांद के जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला, भानु जोशी, गिरीश नाथ गोस्वामी,सालम समिति के अध्यक्ष राजेंद्र रावत, विपिन जोशी, जनवादी महिला समिति की प्रदेश सचिव सुनीता पांडे, राधा नेगी, उत्तराखंड किसान संगठन के दिनेश पांडे, उलोवा के एड. जगत रौतेला, दयाकृष्ण कांडपाल, अजयमित्र बिष्ट, कुनाल तिवारी, व्यापार मंडल नगर अध्यक्ष सुशील साह, प्रत्येश पांडे समेत इन संगठनों दर्जनों लोग शामिल रहे।
भारत बंद का जनपद में कोई असर नहीं
किसान आंदोलन के समर्थन में आहूत भारत बंद का जनपद में कोई असर नहीं दिखा। बाजार अन्य दिनों की तरह खुली रही। किसी आंदोलनकारी ने बाजार बंद कराने का प्रयास नहीं किया। जनपद के जिला मुख्यालय समेत गरुड़, कपकोट, कांडा, काफलीगैर में बाजार अन्य दिनों की तरह खुले रहे। हालांकि भारत बंद के आहवान को देखते हुए पुलिस काफी सक्रिय दिखी तथा नगर में गश्त तेज दिखी। चम्पावत में भी भारत बंद का कोई भी असर देखने को नहीं मिला।
भारत बन्द के दौरान रामनगर का मुख्य बाजार बंद
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार को आयोजित भारत बन्द के दौरान रामनगर का मुख्य बाजार बंद के प्रभाव से अछूता रहा। इक्का-दुक्का दुकानों को छोड़कर बाकी सारे बाजार का कामकाज सामान्य दिनों की तरह रहा। अलबत्ता ग्रामीण क्षेत्र से बाजार आने वाले खरीदारों की चहल-पहल में कमी देखी गयी। नगर के विभिन्न संगठनों ने बंद में भागीदारी की।
काले कृषि कानून रद्द करने, मजदूर विरोधी लेबर कोड रद्द करने, डीजल-पेट्रोल, रसोई गैस के दाम आधे करने की मांग के साथ भारत बंद के दौरान लखनपुर चुंगी पर सभा का आयोजन किया गया। जहां वक्ताओं ने कहा कि किसान आंदोलन केवल किसानों का आंदोलन नहीं रह गया है। इस आंदोलन ने जनता की उन सभी समस्याओं को उठाया है जिनसे आज आम जनता परेशान हैं। बढ़ती महंगाई ने जनता की कमर तोड़ दी है। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, सरसों का तेल का भाव इतना ज्यादा बढ़ गए हैं कि लोग त्राहि त्राहि कर रहे हैं। कोरोना काल में जनता की आमदनी घट चुकी है।
लोग बेरोजगार हो गए हैं लेकिन मोदी सरकार आम जनता को राहत देने के बजाय पूंजीपतियों का कर्जा माफ कर रही है और उनको ही सरकारी संपत्तियां बेच रही है। मोदी सरकार केवल किसानों के विरोध में नहीं है बल्कि वह इस देश की समूची मेहनतकश जनता के विरोध में है। लोगों में हिंदू मुस्लिम के नाम पर सांप्रदायिकता फैला कर वोट बटोरने वाली इस फासीवादी सरकार को हमें जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। सभा के बाद सभी लोग जुलूस की शक्ल में बाजार में घूमे। जुलूस भवानीगंज में जाकर कार्यक्रम समाप्त हुआ। इसमे मौके पर मनमोहन अग्रवाल, प्रभात ध्यानी, पंकज कुमार, ललित उप्रीति, भुवन, उबेद-उल-हक, रवि, किशन, शेखर, मनिंदर सिंह सेठी , मदन, रमेश, गीता, ललिता रावत, सरस्वती, एसआर टमटा, लालमणि आदि तमाम लोग मौजूद रहे।
लालकुआं बाजार तक जुलूस निकालकर किया प्रदर्शन
भारत बंद के समर्थन में किसान महासभा व अन्य जनसंगठनो ने बिन्दुखत्ता से लेकर लालकुआं बाजार तक जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। नगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार का पुतला दहन किया। कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के बैनर तले कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत 27 सितंबर के ‘ भारत बंद‘ के समर्थन में अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले काररोड बिन्दुखत्ता बाजार से लालकुआं बाजार तक जुलूस निकाला गया। इस दौरान कार रोड पर हुई सभा को भाकपा(माले) बिन्दुखत्ता सचिव ललित मटियाली, किसान महासभा के वरिष्ठ नेता भुवन जोशी जी ने संबोधित किया। इस मौके पर छात्र संगठन पछास के महेश, इंकलाबी मजदूर केंद्र के पंकज कुमार, ऐक्टू के किशन बघरी सहित विमला रौथाण , स्वरूप सिंह दानू, पुष्कर दुबडि़या, नैन सिंह कोरंगा, ललित जोशी, कमल जोशी, धीरज कुमार, त्रिलोक सिंह दानू, पंकज बिष्ट, निर्मला शाही, चंद्रशेखर पाठक, खीम वर्मा, शिव सिंह, नंदू, पीताम्बर तिवारी, सुधा देवी आदि शामिल रहे।