देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने भाजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की महिलाओं को लेकर की गयी घोषणाओं पर अपनी सरकार द्वारा चलाई गयी महिलाओं की कई योजनाओं को गिनाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने कई योजनाओं को अकाल मृत्यु दे दी।
उन्होंने कहा कि 2014 से 2016 तक अर्थात चुनावी आचार संहिता लगने तक उनकी सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण, पुष्टाहार और सम्मान को लगातार प्राथमिकता दी। आंगनवाड़ी, आशा बहनें और भोजन माताएं जो महिला स्वावलंबन का आधार हैं, हमने उनको देय मानदेय की राशि बढ़ई।
आशा की बहनों के लिए न्यूनतम आय 5000 का मानक निर्धारित किया, भोजन माताओं को वर्दी अलाउंस देने का भी निर्णय लिया और आंगनवाड़ी को टेक होम राशन स्कीम के साथ जोड़ करके अतिरिक्त आय का रास्ता ढूंढा गया, साथ ही साथ उनको छुट्टियां मान्य की।
आंगनबाड़ी कोष की स्थापना की गई जिससे उनको एक निश्चित राशि सहायता स्वरूप सेवाकाल समाप्त होने के पश्चात मिल सके। महिला स्वयं सहायता समूह पर बढ़ रहे कर्ज की समाप्ति कर एक निश्चित धनराशि अनुदान के रूप में प्रदान की। उनको महिला पौष्टिकता में टेक होम राशन व इंदिरा अम्मा कैंटीन की गतिविधियों के साथ जोड़कर ग्रामीण आर्थिक क्रियाकलापों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़या।
मनरेगा योजना के तहत जंगलों से चीड़ की पत्ती इकठा करने और अपने खेत में काम करने पर भी मनरेगा कर्मी का दर्जा दिया। तीन विभागों में रिक्त पदों पर केवल महिलाओं की भर्ती होगी इसके आदेश जारी किये और पुलिस विभाग में 1
200 महिलाएं जिनमें कांस्टेबल और सब इंस्पेक्टर की पोस्ट हेतु भर्ती प्रारंभ की और उनको भर्ती किया गया। रावत ने कहा है कि बेटी बचाओं-बेटी पढ़ओं‘ के नारे को मूर्त रूप में आगे बढ़ ने के लिए गरीब व दलित के घर में दो बेटियों के पैदा होते ही 500 की एफडी (नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट) और 10 वर्ष की होने पर 1000 और एफडी देने, पढाई के लिए 50 हजार गौरा देवी कन्या धन योजना के तहत और 50000 कन्या के बालिक होने पर उसके विवाह के लिए अनुदान स्वरूप देने का निर्णय लिया। रावत ने ऐसी बहुत सारी योजनाओं को गिनाते हुए कहा कि भाजपा की सरकार आने के बाद ऐसी ज्यादातर योजनाओं को बंद कर दिया गया।