झील का जलस्तर बढ़ने से चिन्यालीसौड़ के कई भवन खतरे के जद में
जनप्रतिनिधियों ने बांध प्रशासन से सुरक्षात्मक कार्य करने की मांग की
उत्तरकाशी। टिहरी बांध की झील के बढ़ते जलस्तर से चिन्यालीसौड़ नगर के तटीय क्षेत्रों में खतरा मंडराने लगा है। झील का जलस्तर 828 पहुंचने से चिन्यालीसौड़ पीपल मंडी. बिजलवाण मोहल्ला. हॉस्पिटल एरिया. चिन्यालीसौड़ बाजार नागणी आदि तटीय क्षेत्रों में भू-धंसाव की घटनाएं बढ़ी लग गई है। जोगथ रोड का लगभग 10 मीटर हिस्सा झील में समा जाने से शिव मंदिर समेत कई सरकारी एवं गैर सरकारी भवन खतरे की जद में आ गये है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भू-धंसाव से हो रहे खतरे को रोकने के लिये बांध प्रशासन से शीघ्र सुरक्षात्मक कार्य शुरू करने की मांग की है।
टिहरी बांध की झील का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है,जिससे तटीय क्षेत्रों में भू-धंसाव की घटनाएं बढ़नी शुरू हो गयी है। भू-धंसाव के कारण राजकीय इंटर कॉलेज चिन्यालीसौड़ के आवासीय भवन,कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र. ऊर्जा निगम स्टोर. वन विभाग, .वाल्मीकि कॉलोनी. नांगणींसौड के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग समेत झील के सीमावर्ती क्षेत्र के मकानों में दरार आ जाने से लोगों में दहशत
का माहौल बना है।
नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष शूरवीर सिंह रांगड़, व्यापार मंडल अध्यक्ष .कृष्णा प्रसाद नौटियाल, प्रधान संगठन अध्यक्ष कोमल सिंह राणा, पूर्व प्रमुख रजनी कोटवाल, मदनलाल बिजलवाण, खीमानंद बिजल्वाण, दीपक बिष्ट आदि ने कहा कि टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन द्वारा चिन्यालीसौड़ नगर की सुरक्षा के लिए सुरक्षात्मक कार्य नहीं किये जा रहे है,जिससे नगर क्षेत्र के तटीय क्षेत्रों का खतरा बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने टिहरी बांध प्रशासन सहित उत्तरकाशी प्रशासन से झील से हो रहे भू-धंसाव से हो रहे खतरे को रोकने के तत्काल सुरक्षात्मक कार्य शुरू करने तथा झील के बढ़ते जलस्तर को रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा कि टिहरी बांध प्रशासन की ओर से यदि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल सुरक्षा निर्माण कार्य नहीं किये गये तो प्रभावित लोगों को साथ लेकर आंदोलन शुरू किया जायेगा।
Dukhad