बाइस को लेकर हरदा के मन में जबरदस्त उथल-पुथल

पार्टी के भीतर की गुटबाजी का भी किया इशारा

  •  खुद को फ्री हैंड देने पर सत्ता में वापसी का भरा दम
  • परिवर्तन यात्रा के बाद रावत ने खुलकर की मन की बात 
देहरादून। परिवर्तन यात्रा का पहला चरण पूरा होने के बाद कांग्रेस चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष व पूर्व सीएम हरीश रावत ने  चुनावों को लेकर संगठन की कमजोरियों पर ध्यान खींचा है। यही नहीं रावत ने परोक्ष रूप से ऐसी इच्छा भी जताई है कि इन चुनावों में उन्हें फ्री हैंड देने से ही पार्टी को फायदा होगा।  सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार अपनी बात रखने वाले रावत ने अपनी ताजा फेसबुक पोस्ट में दिल खोलकर लिखा है। उन्होंने कहा है कि आज कार्यकर्ताओ को यह लगता है कि वो सरकार बना सकते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में वे आगे आये हैं। यदि इन सब को देवेंद्र यादव और गणेश गोदियाल संभालकर के रख सकें तो कांग्रेस के लिए सभी विधानसभाओं में बड़ा संगठन खड़ा हो जाएगा। रावत कहते हैं कि ऐसे में अंतर्विरोध भी होंगे और परेशान भी करेंगे, मगर पार्टी सफल सत्ता तक पहुंचने में सफल होगी। उन्होंने सल्ट उपचुनाव की हार पर कहा कि उसमें धन शक्ति, प्रबंधन क्षमता भाजपा की सब बातें थी, लेकिन भितरघात भी था। इसके बाद भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश था, लेकिन संगठनात्मक दुर्बलता के चलते पार्टी इस चुनाव को हार गयी। 
रावत लिखते हैं कि कांग्रेस के प्रति जन भावना पैदा करने के बाद भी उसको वोटों में नहीं बदल पाये। वे साफ लिखते हैं कि प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व बदलने के बाद भी वह कमजोरी बनी हुई है। उस दिशा में कोई सार्थक काम अभी नहीं हुआ। वे लिखते हैं कि कांग्रेस पहले से ज्यादा अंतर्विरोधों से घिरी है। उन्होंने परिवर्तन यात्रा के पहले चरण का हवाला देते हुए कहा है कि यात्रा में अंतर्विरोध दिख रहे थे, मगर जनभावना व जनता और सामान्य कार्यकर्ता के उत्साह को देखकर सारे अंतर्विरोध दबते जा रहे थे। रावत का कहना  है कि परिवर्तन यात्रा के पहले चरण ने कांग्रेस को ताकत दी है। अब उनकी चिंता यह है यह ताकत संगठनात्मक स्वरूप कैसे पाये। रावत ने कहा है कि यदि वे सफल होते हैं तो पार्टी को अगले 20-25 सालों के लिए एक और स्थापित नेता मिल जाएगा। वे गोदियाल के व्यक्तित्व में ऐसे गुण होने की बात भी करते हैं।  इस पोस्ट में वो लिखते हैं कि वे अभियान समिति का अध्यक्ष हैं, चुनाव की सारी प्रक्रिया की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है, लेकिन वे यह नहीं समझ पा रहे कि अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कैसे करें। यदि वे प्रयास करते हैं तो कई तरीके के विरोधाभास के सामने आ जाएंगे। उन्होंने लिखा है कि वे सकारात्मक बिंदुओं के साथ, प्लस प्वाइंट्स के साथ पार्टी के लिए बड़ी एसेट्स हो सकते हैं, लेकिन उनके कुछ दोस्त उन्हें बंधनमुक्त ही रखना चाहते हैं। 22 के चुनाव को जटिल मानते हुए वे कहते हैं कि पिच जटिल है यदि वे खुटुर-खुटुर तरीके से खेलूंगा तो प्रतिद्वंद्वियों की सकारात्मक चीजें जीत की राह को कठिन करेंगी, लेकिन यदि वे अपने ढंग से यानी फ्री हैंड खेलते हैं, रावत का दावा है कि वे हालात को बदल सकते हैं। यह सब लिखने के बावजूद वे इस बात को लेकर सशंकित हैं कि उन्हें फ्री हैंड खेलने की आजादी दी जाएगी।

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