केदारनाथ हाईवे के डेंजर जोनों का होगा स्थाई ट्रीटमेंट

टीएचडीसी वैज्ञानिक विधि से करेगा डेंजर जोनों का ट्रीटमेंट केदारनाथ हाईवे पर आपदा के बाद से बने हैं कई डेंजर जोन

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा और केदारघाटी की लाइफ लाइन रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड और तुंगनाथ घाटी को चमोली जनपद से जोड़ने वाले कुंड-ऊखीमठ-चोपता-गोपेवर-चमोली राष्ट्रीय राजमार्ग के भूस्खलन व भू धसाव जोन से पूरी तरह से निजात मिल जाएगी। टीएचडीसी की ओर से वैज्ञानिक विधि से इन स्थानों का स्थायी ट्रीटमेंट किया जाएगा।
दरअसल, 6 के दशक में निर्मित रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिछले तीस वर्षों से बांसवाड़ा भूस्खलन जोन सबसे ज्यादा संवेदनशील है। 16/17 जून 2013 की आपदा के बाद से हाईवे पर खाट गांव के समीप भू धसाव जोन नासूर बन चुका है। यहां पर ठीक नीचे बह रही मंदाकिनी नदी के तेज बहाव से हो रहे कटाव का असर ऊपर की तरफ होने से जमीन धंस रही है। पिछले सात वर्षों में 50 मीटर प्रभावित हिस्से में 40 मीटर (चौड़ाई में) से अधिक जमीन भूधंसाव की भेंट चढ़ चुकी है। एनएच ने ऊपरी तरफ से जमीन को काटकर सड़क बनाई है, लेकिन हालात नाजुक हैं। ऑलवेदर रोड परियोजना में भी गौरीकुंड राजमार्ग के चौड़ीकरण से भराड़ीसैंण, मेदनपुर, नारायण कोटी, चंडिका धार और रामपुर में नए भूस्खलन जोन बने हैं, जो पिछले दो वर्ष से परेशानी का सबब बने हुए हैं। आने वाले समय में इन डेंजर जोन से हमेशा के लिए निजात मिल जाएगी। टीएचडीसी हाईवे पर भूस्खलन व भू धसाव जोन की स्थायी मरम्मत करेगा। टीएचडीसी नई तकनीक से प्रभावित स्थानों का ट्रीटमेंट कर मिट्टी की परत को मजबूत करेगा, जिससे भूस्खलन व भूधंसाव नहीं होगा। टीएचडीसी के वैज्ञानिक हाईवे के प्रभावित क्षेत्रों का प्रारंभिक सर्वेक्षण कर चुके हैं। विशेषज्ञ, एनएच के अधिकारियों के साथ प्रभावित हिस्सों का जियो सर्वेक्षण कर सुधारीकरण कार्य की योजना तैयार की जयेगी। दूसरी तरफ कुंड-ऊखीमठ-चोपता-मंडल-चमोली हाईवे पर पापड़ी व ताला में भी भूधंसाव जोन का स्थायी ट्रीटमेंट होगा। एनएच के अधिशासी अभियंता जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि टीएचडीसी के विशेषज्ञों ने दोनों हाईवे के डेंजर जोन का सर्वेक्षण कर हालातों का जायजा लिया है। जीयो सर्वे से डेंजर जोन की सही स्थिति का पता लगेगा, जिसके आधार पर स्थायी ट्रीटमेंट किया जाएगा।

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