पहाड़ व मैदान में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती में असंतुलन

स्वीकृत पदों के सापेक्ष कम संख्या में तैनात हैं विशेषज्ञ डॉक्टर, पहाड़ में स्थिति चिंताजनक

देहरादून । एसडीसी फाउंडेशन ने प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की स्थिति पर किए गए अध्ययन रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स इन उत्तराखंड’ का तीसरा भाग जारी किया है। अध्ययन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से आरटीआई के तहत प्राप्त सूचना के आधार पर राज्य के 13 जिलों में 15 प्रकार के विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली गई। जिसमें पता चला है कि राज्य में फोरेंसिक, स्किन और साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सबसे कम उपलब्ध हैं।
स्थिति यह कि फोरेंसिक विशेषज्ञों के 25 स्वीकृत पदों में से केवल एक फोरेंसिक विशेषज्ञ उपलब्ध है वह भी देहरादून में। इसके अलावा त्वचा रोग के 32 विशेषज्ञ डॉक्टरों के स्वीकृत पदों में से चार और साइकेट्रिस्ट के स्वीकृत 28 पदों में से चार की नियुक्ति की गई हैं। राज्य में कुल मिलाकर विशेषज्ञ चिकित्सकों के 1147 स्वीकृत पदों में से 493 पदों पर ही नियुक्ति की गई हैं। बीती 30 अप्रैल तक राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 654 पद खाली थे। अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती में बड़ा असंतुलन है। उदाहरण के लिए चंपावत में आई सर्जन के तीन स्वीकृत पदों में से एक पर भी नियुक्ति नहीं की गई है। जबकि देहरादून में छह स्वीकृत पदों के मुकाबले 11 आई सर्जन तैनात हैं।
एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं कि इस अध्ययन रिपोर्ट के बाद हम यह कहने की स्थिति में हैं कि राज्य में हेल्थ कर्मचारियों के वितरण से संबंधित आईपीएचएस ढांचे पर फिर से विचार करने की जरूरत है। क्योंकि मैदानी जिलों की तुलना में पर्वतीय जिलों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बहुत कम है। विशेषज्ञ चिकित्सकों को सभी जिलों में समान रूप से वितरित करने की रणनीति पर काम करने की जरूरत है। पर्वतीय जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे की भी कमी है। राजनीतिक नेतृत्व व नौकरशाहों को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।

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