न्यायालय ने निर्णय पर टिका हुआ है जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार का भविष्य

शिवालिक हाथी गलियारे के डी नोटिफाइड करने की सुनवाई 11 सितंबर नियत

नैनीताल । नैनीताल उच्च न्यायालय ने रिजर्व शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर को डी नोटिफाइड से जुड़े एक मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त नियत कर दी है। सरकार ने न्यायालय को वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने की जानकारी दी है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ में चल रही है। यह मामला जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार से जुड़ा हुआ है। 
उल्लेखनीय है कि देहरादून निवासी रेनू पाल ने एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि 24 नवम्बर 2२0 को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार करने लिए शिवालिक एलिफेंट रिजर्व फॉरेस्ट को डी नोटिफाइड करने का  निर्णय लिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस बैठक में शिवालिक एलिफेंट रिजर्व को डी नोटिफाइड करना अति आवश्यक माना गया। याचिकाकर्ता के अनुरोध के बाद इस नोटिफिकेशन के आदेश पर फिलहाल उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है।
याचिकर्ता का यह भी कहना है कि रिजर्व शिवालिक एलीफेंट कॉरिडोर 2002 से रिजर्व एलिफेंट कॉरिडोर  की श्रेणी में शामिल है। यह करीब  5405 एयर वर्ग किलोमीटर में फैला है और यह वन्य जीव बोर्ड द्वारा ही नोटिफाइड  किया गया एरिया है। बोर्ड से डी नोटिफाइड करने की अनुमति नहीं दे सकता है। चूंकि एलिफेंट इस एरिया पड़ोस देश नेपाल से भी जुड़ा हुआ है। 
इस मामले की पिछली सुनवाई पर सदस्य सचिव राज्य वन्यजीव बोर्ड के सुहाग व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में पेश हुए थे। न्यायालय ने सुहाग से पूछा था कि केंद्र सरकार व जैव विविध पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए क्या कदम उठा रही  न्यायालय ने यह पूछा कि क्या प्रस्तावित एयरपोर्ट का विस्तार अन्य जगह की तरफ किया जा सकता है  न्यायालय ने यह भी पूछा था कि जो वन्य जीवों के संरक्षण के लिए बनाए गए संस्थान ऐसा निर्णय कैसे ले सकते हैं।

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