संपत्ति बंटवारे के लिए केंद्रीय परिवहन सचिव बैठक कराएं :हाईकोर्ट
केंद्र सरकार के अधिवक्ता को बैठक की तिथि बताने का निर्देश
नैनीताल। नैनीताल उच्च न्यायालय ने एक बार फिर केंद्रीय परिवहन सचिव को उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के परिवहन सचिव की संपत्ति बंटवारे के लिए बैठक करवाने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से एक सप्ताह के भीतर न्यायालय को दोनों प्रदेशों के परिवहन सचिवों की बैठक की तिथि बताने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही अगली सुनवाई 18 अगस्त मुकर्रर कर दी है।
यह आदेश बुधवार को उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने दिया। इससे पहले आज वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रंजीत सिंहा,नवनियुक्त महानिदेशक परिवहन नीरज खैरवाल वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। इस अवसर पर परिवहन सचिव ने न्यायालय को बताया गया कि सरकार ने 34 करोड$ रुपये निगम के खाते में राज्य आकस्मिक निधि से ऋण के रूप दे दिया है। इसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। आज ही यह रकम निगम के खाते में जमा हो जाएगी। सुनवाई के समय केंद्र सरकार का अधिवक्ता उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की संपत्ति बंटवारे के लिए दोनों राज्यों के सचिवों के बीच जल्दी बैठक करवाने के मामले में केंद्र सरकार की ओर से संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।
इससे नाराज न्यायालय ने कहा कि जब दो देशों के प्रधानमंत्रियों की बैठक होती है तो विदेश सचिवों की मुख्य भूमिका होती है,न्यायालय द्वारा बार-बार आदेश देने के बात भी अभी तक मीटिंग नहीं की जा रही है। पिछली तिथि को न्यायालय ने यहां तक कहा था कि जब केंद्र एवं दोनों राज्यों में सरकार एक ही पार्टी की है तो मामला एक बार आदेश करने पर सुलझ जाना चाहिए था। इस बीच परिवहन सचिव उत्तराखंड ने एक शपथ पत्र भी पेश किया। इसमें कहा गया है कि कर्मचारियों के भविष्य में वेतन देने के लिए सम्पूर्ण प्रपोजल कैबिनेट के सामने रखेंगे। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि लॉकडाउन खुलने के साथ ही बसों का संचालन शुरू हो गया है। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। न्यायालय ने सरकार द्वारा लॉकडाउन 1 अगस्त तक बढ़ाए जाने पर खुशी जाहिर की। सुनवाई के दौरान यूनियन के अधिवक्ता द्वारा न्यायालय को बताया कि निगम द्वारा कर्मचारियों को एसीपी, ग्रेच्युटी पीएफ भी नहीं दिया जा रहा है। न्यायालय ने कहा कि यह मामला अलग है अभी तो वेतन दिए जाने की समस्या है।