देहरादून । उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की चर्चा जोरों पर शुरू हो गई थी। उत्तराखंड में बीएल संतोष जब भी आते है तब-तब उत्तराखंड में बदलाव कर ही जाते हैं। हालांकि सूत्र बताते है कि पार्टी आलाकमान ने जब से प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मदन कौशिक को जिम्मेदारी दी तब से अंदाजा लगाया जा रहा था कि गढ़वाल के नेतृत्व की अनदेखी हुई है। संघ और बीजेपी के बीच समन्वय बैठक देर रात तक चलती रही। बैठक में चर्चा हुई की गढ़वाल के विधायक नाराज हैं विधायकों ने अपनी नाराजगी जताते हुए यह भी कहा कि अगर गढ़वाल की उपेक्षा हुई तो पार्टी को चुनाव में नुकसान हो सकता है। सूत्र बताते हैं विधायकों की नाराजगी की बात इतनी उठी कि कल यह लगभग तय हो गया था की प्रदेश अध्यक्ष के पद से मदन कौशिक को हटाकर गढ़वाल से महेंद्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी जाए । हालांकि देर रात तक चली बैठक में मदन कौशिक काफी हद तक खुद को हटाने को लेकर पार्टी के संभावित फैसले को टालने में कामयाब हो गए। वही अब सूत्र बता रहे हैं कि मदन कौशिक को नहीं हटाया जाएगा बल्कि कॉन्ग्रेस की तरह है भाजपा भी उत्तराखंड में कार्यकारी अध्यक्ष का फार्मूला अपना सकती है। उम्मीद यह है कि गढ़वाल से महेंद्र भट्ट को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी पार्टी सौंप सकती है लेकिन अभी पार्टी के अंदर और बीएल संतोष जो राष्ट्रीय संगठन महामंत्री हैं उन तक ही यह बात चल रही है। अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी बातचीत होगी उसके बाद ही यह तय हो पाएगा कि भाजपा की आगे की रणनीति क्या है। लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष की रणनीति ने भाजपा में भी खलबली मचाई हुई है। भले ही बीजेपी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम कार्यकारी अध्यक्षों को बनाने को लेकर कांग्रेस को कोस रहे हो लेकिन संभावना यह जताई जा रही है कि अगर मदन कौशिक को नहीं हटाया गया तो गढ़वाल से कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर बीजेपी भी कांग्रेस का अनुसरण कर सकती है। हालांकि किसी ने ठीक ही कहा है कि बीजेपी में कुछ भी तय हो जाए लेकिन अंतिम समय तक विश्वास नहीं किया जा सकता जब तक इसकी घोषणा पक्के तौर पर ना हो जाए क्योंकि बीजेपी के तमाम नेताओं द्वारा लगातार त्रिवेंद्र सिंह रावत के ना हटने की बात की जाती रही लेकिन हुआ क्या सब जानते हैं वही तीरथ सिंह रावत को लेकर भी पार्टी के नेता चुनाव लड़ने की बात करते रहे लेकिन हुआ क्या सब जानते हैं।इस बीच एक चर्चा कैबिनेट के एक मंत्री को हटाने को लेकर भी हुई क्योंकि पार्टी के नेताओं ने इस बात को लेकर भी बात कही कि कांग्रेस से आए नेता जिस तरह से प्रदेश में सरकार में शामिल हैं उनके द्वारा पार्टी कार्यकर्ताओं को तवज्जो नही दी जा रही बल्कि कांग्रेस की संस्कृति को भी बीजेपी में डालने की कोशिश की गई हालांकि इस मुद्दे पर बहुत ज्यादा चर्चा नहीं हुई ।