पटना : चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस से भिड़ने के मूड में आ गए हैं । लोजपा में बचे हुए नेताओं और कार्यकर्ताओं को चिराग ने शपथ भी दिलायी हैं ।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह बात खुलकर सामने आ गई , जब उन्होंने कार्यकारिणी के सभी सदस्यों से पार्टी और उनके लिए निष्ठा की शपथ भी दिलाई । इस शपथ के बाद तमाम पार्टी नेता और सदस्य बंध गए हैं । साथ ही पशुपति पारस और उनके समर्थकों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक चिराग पासवान ने अपने पास बची हुई पार्टी को ही असली पार्टी घोषित कर दिया है और पशुपति पारस के गुटको अवैध घोषित कर दिया है । इसके बाद वे अगले माह से हाजीपुर, जमुई समेत बिहार के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे और हर जगह चाचा पशुपति पारस एवं उनकी हरकतों को बेनकाब कर जनता से अपने लिए सीधा समर्थन मांगेंगे।
इन सूत्रों के मुताबिक चिराग पासवान को यह समझ में आ गया है कि वह भाजपा के द्वारा बनाए गए चक्रव्यूह में फंस गए थे , जिसके सामने प्रतिद्वंदी तो नीतीश कुमार थे, लेकिन असली मदारी दिल्ली में बैठा हुआ शख्स ही था। भाजपा और जदयू हमेशा रामविलास पासवान को इसलिए महत्व और प्रश्रय देते थे, क्योंकि उनके पास दलित राजनीति की कमान थी । चिराग पासवान भी इस बात को समझ गए हैं और वह बिहार में दलित समाज खासकर पासवान जाति की राजनीति करने का मन बना चुके हैं और इसकी तैयारी भी उन्होंने शुरू कर दी है।
दरअसल, पशुपति पारस का चिराग को छोड़ खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाना और चार सांसदों को अपने साथ कर लेने का मामला अभी शांत नहीं होने वाला है. भतीजे चिराग ने चाचा को पटकनी देने की पूरी प्लानिंग कर ली है। चाहे उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़े या अपने नेताओं को गोलबंद कर मोर्चा खोलना पड़े। चिराग किसी न किसी तरह चाचा को शिकस्त देने के लिए तैयार हैं।
यही वजह है कि जहां कल वे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलकर अपनी बातों को रखा। वहीं चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पारस के नेतृत्व वाले धड़े को उसकी बैठकों में पार्टी का चिह्न और झंडे का इस्तेमाल करने से रोकने का आग्रह भी किया है।
साथ ही उन्होंने दिल्ली स्थित कार्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की। इस बैठक की ख़ास बात ये थी कि उन्होंने अपने जितने भी नेता हैं, उन सबकी आमंत्रित किया था। बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की भीड़ दिखी। नारे लगे चिराग तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं। मतलब साफ़ था कि चिराग के साथ उनके पार्टी के कार्यकर्त्ता और नेता साथ हैं।
भले उनका साथ छोड़ सभी सांसद और चाचा पार्टी को अपना बात रहे हो। लेकिन असल में चिराग अपनी पार्टी को न छोड़ेंगे और न किसी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने देंगे। लेकिन आज इस बात को पुख्ता करने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की।
बताया जा रहा है कि इस इस बैठक में चिराग पासवान ने नेताओं को शपथ भी दिलवाई। लोजपा का कंट्रोल किसके हाथ में होगा और किसके हाथ में नहीं, यह भविष्य के गर्भ में पल रहा है, मगर माना जा रहा है कि इस बैठक से चिराग आगे की रणनीति जाहिर कर दी।