ममता सिंह
अगरतला, त्रिपुरा। भारत ने ब्रिटेन को कटहल (Jackfruit) का निर्यात करने का सराहनीय प्रयास किया है। 1.2 मीट्रिक टन ताजे कटहल कल (21 मई) को दिल्ली के रास्ते लंदन भेजा गया। त्रिपुरा से पहली खेप गुवाहाटी से ट्रेन के रास्ते दिल्ली भेजी गई। निष्चित ही यह पूर्वोत्तर क्षेत्र से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की निर्यात (Export) क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। इस पूरी कवायद को अंजाम तक पहुंचाने में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की अहम भूमिका रही।
कटहल की खेप को लंदन भेजने के वर्चुअल कार्यक्रम में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के अध्यक्ष डॉ. एम. अंगमुथु और त्रिपुरा सरकार के कृषि सचिव सी. के. जमातिया और अन्य वरिष्ठ अधिकारीयों ने भाग लिया। प्रदेश के कृषि और बागवानी विभाग मंत्री प्रणजीत सिन्हा रॉय ने ट्वीट किया, ‘‘त्रिपुरा, पहली बार कटहल का निर्यात कर रहा है, जिसमें बहुत अधिक संभावनाएं हैं। पहली खेप भेज दी गई है। राज्य से अनानास के बाद अब कटहल भी निर्यात की सूची में आया है।
मालूम हो कि एपीडा नियमित रूप से पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के निर्यात मानचित्र पर लाने के लिए प्रचार गतिविधियां कर रहा है। इसके पहले पश्चिम एशिया में अनानास और नींबू का सफलतापूर्वक निर्यात करने के बाद त्रिपुरा ने अब ब्रिटेन को कटहल का निर्यात किया है। पिछले दिनों असम से ‘लाल चावल’ की पहली खेप यूएसए भेजी गई थी। आयरन से भरपूर ‘रेड राइस’ असम की ब्रह्मपुत्र वैली में बिना किसी रासायनिक खाद के उगाए जाते हैं।
बिप्लव देव ने कटहाल निर्यात को सराहा
मुख्यमंत्री बिप्लब देव ने कटहाल निर्यात को सराहते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर दक्षिण एशिया को बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। त्रिपुरा सरकार अनानास, नींबू समेत अन्य आर्गेनिक उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के साथ साथ बांस से बने उत्पादों और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने की दिशा में नित नए प्रयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि भले ही निर्यात की वर्तमान पहल छोटी हो लेकिन ऐसे ही छोटे छोटे प्रयास एक दिन बड़ा रूप ले सकते हैं।
600 हेक्टेयर भूमि पर कटहल का उत्पादन
उद्यान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, त्रिपुरा में बीते 3-4 वर्षों से करीब 600 हेक्टेयर भूमि पर कटहल का उत्पादन हो रहा है। जिसमें 8 हजार से अधिक मीट्रिक टन कटहल प्राप्त होता है। लेकिन बंपर उत्पादन और सही बाजार न मिलने के कारण बिचैलियों को कम दाम पर किसान इसे बेच देते हैं। ऐसे में इसके निर्यात को बढ़ावा मिलने से किसानों की मुश्किलें कुछ कम हो सकती हैं।
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
कटहल की सब्जी न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी कटहल के गुण बहुत है।कटहल वजन घटाने से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बचाव कर सकता है। वहीं, कटहल में प्रोटीन की मात्रा अन्य सब्जियों की तुलना मे ज्यादा होती है, खासकर इसके बीज में। कटहल का उपयोग क्षेत्र में लोग सब्जी और फल दोनों ही रूप में करते हैं। कच्चे कटहल की जायकेदार सब्जी बनती है, तो पका हुआ कटहल मीठा होता है। इसके अलावा पके कटहल के बीजों का उपयोग भी क्षेत्र में किया जाता है। पके कटहल के बीजों से पाचक बनाया जाता है। इसके अलावा कटहल का अचार बनाकर लोग इसे घरों में संग्रहित करके भी रखते हैं।
पूर्वोत्तर के उत्पादों की खासी डिमांड
जानकार मानते हैं कि कोरोना काल में भी किसानों के उत्पाद का विदेशी बाजार तक पहुंचाने का प्रयास सरकार का एक सराहनीय प्रयास है। लेकिन यह प्रक्रिया सतत हो, सांकेतिक नहीं। किसानों के उत्पाद बाजार तक पहुंचे। क्योंकि पूर्वोत्तर के आठों राज्य अपने आर्गेनिक उत्पादों के दम पर देश ही नहीं, विदेश में भी विश्वसनीय माने जाते हैं।