कोविड सेंटरों में अव्यवस्थाएं हावी

  • राजनीतिक पार्टियों के कोविड सेंटरों में उचित उपचार न मिलने से मरीज परेशान
  • कांग्रेस और भाजपा, दोनों को ही ईमानदारी से महामारी से निपटने की जरूरत

चाणक्य मंत्र ब्यूरो

देहरादून । हर राजनीतिक पार्टियां चाहे वह क्षेत्रीय हो या फिर राष्ट्रीय पार्टी। किसी का भी कोविड  सेंटर असरदार नहीं रहा। मालूम हो कि कोविड पीड़ितों के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों की ओर से ही पूरे प्रदेश में कोविड सेंटर खोले गए हैं लेकिन इन सेंटरों पर राजनीतिक छाप कुछ ज्यादा ही दिख रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि यह चुनावी साल है। सभी को पता है कि चुनावी साल में पार्टियां अपने काम की बात ज्यादा करती हैं और दूसरे की बात को ज्यादा तवज्जो नहीं देती हैं।

उत्तराखंड में कोरोना महामारी का प्रकोप चरम पर है। सरकार और गैर-सरकारी अस्पतालों में कोरोना पीड़ित व्यक्तियों को बेड नहीं मिल रहें हैं। ऐसे में लोगों को लगता है कि राजनीतिक पार्टियों के कोविड सेंटर काफी मददगार साबित होंगे लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा संचालित कोविड सेंटरों का बुरा हाल है।

कभी कभार पार्टियों के नेता वर्चुअली कोविड सेंटरों का हाल जान लेते हैं। जनता के बीच सुर्खियां बटोरने के लिए विज्ञप्तियां प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भेजते रहते हैं ताकि लोगों को लगे कि संकट के इस दौर में पार्टियां काफी सक्रिय हैं। लेकिन पार्टियों की निगाह वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा सभा चुनावों पर टिकी हुई हैं। इसलिए ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इन दिनों रोजाना ही अपने नेताओं से कोविड संक्रमण को लेकर जानकारी संग्रह करते हैं। ठीक यही स्थिति कांग्रेस की भी है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी तो लंबे समय से उत्तराखंड में डेरा डाले हुए हैं। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि पार्टियों द्वारा संचालित कोविड सेंटरों को ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा है। कोविड सेंटर में दाखिल लोगों का हाल-चाल जानने से महत्वपूर्ण है जरूरी दवा और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना। पार्टी के नेताओं का फोकस इस पर रखने की आवश्यकता है। कोविड सेंटर स्थापित करना तो अच्छी बात है। पर इन कोविड सेंटरों में जरूरी उपकरण की व्यवस्था भी करनी होगी। लोग जिंदा बचेंगे तभी तो वोट डालेंगे।

कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों को ही ईमानदारी से इस महामारी से निपटना होगा। इसके लिए ईमानदार प्रयास तो करने ही होंगे। निश्चित रूप से अभी हालात और ज्यादा बदतर होंगे। इसलिए राजनीतिक पार्टियों को एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप गढ़ने के बजाय कोविड संक्रमण से कैसे निपटा जाए, इस दिशा में कार्य करने होंगे। कोविड सेंटरों में हर इक आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराना होगा। तभी तो राजनीतिक पार्टियों द्वारा संचालित किए जाते वाले कोविड सेंटरों की उपयोगिता समझ में आएगी। मौजूदा हालात में नाटक करने के लिए कोविड सेंटरों को लगाना ठीक नहीं है। अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की दिशा में प्रयास करने होंगे। इसके अलावा दिहाड़ी पर जिन लोगों की आजीविका टिकी हुई है उनके लिए भी राजनीतिक पार्टियों को कुछ ठोस पहल करनी होगी।

कोविड कर्फ्यू की वजह से यह तपका परेशान हैं। इनका कामकाज बंद है। राजनीतिक पार्टियों को इनकी मदद करनी चाहिए। हालांकि, कई संगठनों द्वारा यह काम तेजी के साथ शुरू कर दिया गया है। लेकिन पार्टियों को इसमें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

‘कोविड सेंटरों में मेडिकल सुविधाओं की किल्लत नहीं है। रोजाना ही फीड बैक लिया जा रहा है। केंद्रीय नेतृत्व भी कोविड सेंटरों पर नजर रखे हुए है। चिंता जैसी कोई बात नहीं है। मदन कौशिक, अध्यक्ष, उत्तराखंड भाजपा  

  ‘कांग्रेस द्वारा संचालित कोविड सेंटरों पर बढ़िया व्यवस्था है। कांग्रेस के हर छोटे-बड़े नेता सक्रिय हैं। महामारी में नियमित रूप से जनपदों में जा रहे हैं। साथ ही, कांग्रेस आलाकमान को भी नियमित का फीड बैक भी दिया जा रहा है। हां, सरकारी मशीनरी ही गड़बड़ है। पूरी तरह से फ्लॉप है। प्रीतम सिंह, अध्यक्ष, उत्तराखंड कांग्रेस

 

 

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