- असम और पश्चिम बंगाल के चुनाव महत्वपूर्ण हैं। अब चुनाव परिणाम किसके पक्ष में जाएगा, यह कहना मुश्किल है पर इतना जरूर है कि चुनाव परिणामों से सरकार के काम काज पर मुहर जरूर दिखेगी…
देश के पांच राज्यों के चुनाव परिणाम केंद्र सरकार और जिन राज्यों में चुनाव हुए या फिर अंतिम चरण में हैं, वहां की असलियत बयां करेंगे। चुनाव परिणाम जो भी हो, इसको दलगत राजनीति से उपर उठकर देखना और समझना चाहिए। क्योंकि जनादेश से यह प्रमाणित होगा कि सरकारों के विकास की गति क्या रही और भविष्य में यदि चुनाव में जाना है तो हमें किस तरह की रणनीति अपनानी चाहिए। आज के दौर में मतदाता काफी जागरूक हैं। मतदाता किसी भी प्रांत के हों उन्हें तो बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है। सुविधाएं मिल गईं तो ठीक है, यदि नहीं मिली तो मतदाताओं का मिजाज बिगड़ने लगता है।
चुनावी राज्यों में असम और पश्चिम बंगाल काफी महत्वपूर्ण है। भाजपा सहित हर राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी जंग में जोर-शोर से अजमाइश की है। चुनाव परिणाम किसके पक्ष में जाएगा, यह कहना मुश्किल है पर इतना जरूर है कि चुनाव परिणामों से सरकार के काम काज पर मुहर जरूर दिखेगी और इसका असर आगामी लोकसभा चुनाव और राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में पड़ेगा। हां, राजनेताओं को प्रचार के दौरान संयम बरतना चाहिए। एक-दूसरे पर निजी हमला करके चुनावी जंग जीतना मुमकिन नहीं है। साथ ही, सहानुभूति का असर भी चुनावों पर नहीं पड़ने वाला है। अब तो पहले का जमाना लद गया कि भाईचारे से वोट मिल जाएगा। वोट पाने के लिए जमीनी काम जनता को दिखना चाहिए। अभी कई राज्यों में मतदान के दौरान लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया। इसके पीछे वहां विकास का नहीं होना ही माना गया है।
किसी भी राज्य की जनता क्यों न हो, उसे तो बस स्वास्थ्य, बिजली, पानी और चमचमाती सड़क मिल जाए, यही काफी है। जहां तक सवाल रोजगार का है, उससे युवा वंचित हैं। सरकारी नौकरी मिल नहीं रही है। निजी कंपनियों में छंटनी का दौर जारी है। अब सरकार को लोगों की बेहतरी के लिए कदम उठाने होंगे। असल में सरकार की असली परीक्षा भी यही है। अब वोट किसी को भी मुफ्त में नहीं मिलने वाले हैं। संयोग से इस बार वोट मिल भी गये तो अगली बार वोट कहीं से भी नहीं मिलने वाले हैं। इसलिए जनादेश का सम्मान सभी को करना चाहिए। परिणाम जो भी हो, उससे सीख लेकर आगे बढ़ना ही एक महत्वपूर्ण कला है। इसलिए हर पार्टियों को जनादेश का आदर करना चाहिए।
झांसे की राजनीति अब अपने देश में नहीं चलने वाली है। लोग विकास के नाम पर ही वोट देंगे। पर विकास भी तो दिखना चाहिए। जनता अब गुमराह नहीं होने वाली है। हर जगह सोशल मीडिया की पकड़ है। लोग टेलीविजन देखते हैं, अखबार पढ़ते हैं। लोगों को पता है कि देश दुनिया में क्या चल रहा है। मतदाताओं को बेवकूफ या फिर लुभाया नहीं जा सकता है। अनर्गल और राष्ट्र विरोधी बातों को निजी स्वार्थ के लिए चुनाव प्रचार में उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे क्षणिक लाभ तो मिल सकता है लेकिन दूरगामी लाभ नहीं मिल सकता है। इसलिए जनता को विश्वास में लेकर ही काम करना होगा और जनता आप पर यकीन तभी करेगी जब आप जनता का ध्यान रखेंगे। अब जनता के फैसलों पर चिंतन करने और उस पर अमल करने की आवश्यकता है। तभी जनता का दिल जीता जा सकता है।