पुण्यतिथि पर याद किए गए डा. त्रिवेदी
सोशल मीडिया के जरिए साहित्यकारों ने मनाई डा. गिरिजा शंकर त्रिवेदी की 13वीं पुण्य तिथि
- सोशल मीडिया के जरिए साहित्यकारों ने मनाई 13वीं पुण्य तिथि
प्रसिद्ध कवि, लेखक और पत्रकार डा. गिरिजा शंकर त्रिवेदी की 13वीं पुण्य तिथि पर साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने फेस बुक और अन्य माध्यमों से उनका भावपूर्ण स्मरण किया।
देश के प्रख्यात गीतकार डा. बुद्धिनाथ मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि डा. त्रिवेदी जी हमारे समय के बड़े आचार्य थे। आचार्य इसलिए कि उनके ज्ञान के अलावा उनके आचरण से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता था। वे समय की पाबंदी और ‘प्रियं च सत्यं च’ वाणी के साथ ही सबको जोड़कर चलने वाले अद्भुत साहित्यकार थे। समाज के हर स्तर के व्यक्ति के वे ‘गुरुजी’ थे। उनके गीत, जागृति और संवेदना के पोषक थे। वे वस्तुतः उत्तराखंड राज्य के महारत्न थे। उनके देहरादून आगमन और निधन के बीच की अवधि को ‘त्रिवेदी युग’ माना जाना चाहिए।वे मेरे सबसे आत्मीय भैया थे।
प्रसिद्ध लेखिका, शिक्षाविद, संस्कृत विश्व विद्यालय की पूर्व कुलपति डा. सुधा पांडे ने डा. त्रिवेदी की साहित्यिक और सांस्कृतिक पत्रकारिता का उल्लेख करते हुए उन्हें कवि शिरोमणि बताते हुए श्रद्धांजलि दी। डा. पांडे ने त्रिवेदी जी प्रसिद्ध कविता ज्योति रथ बढ़ता चले यह ज्योति रथ बढ़ता चले को भी उद्धृत किया।
सहारनपुर के वरिष्ठ कवि विनोद भृंग ने डा. त्रिवेदी को साहित्य मनीषी बताते हुए उन्हें नमन किया। साहित्यकार डा. मंजुला राणा ने डा. त्रिवेदी को एक सच्चा इंसान और बहु आयामी व्यक्तित्व बताया। कवि और पत्रकार सोमवारलाल उनियाल प्रदीप ने अपने संदेश में त्रिवेदी जी को अग्रज साहित्यकार, मनीषी बताते हुए उनकी स्मृति को नमन किया। कवि हेमचंद सकलानी ने कहा कि साहित्यिक मंचों पर डा. त्रिवेदी के बिना बड़ा सूनापन नजर आता है।
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने डा. त्रिवेदी को आदरणीय गुरु और पिता तुल्य बताते हुए उनका भावपूर्ण नमन किया है। लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य संजय शर्मा ने डा. त्रिवेदी की सादगी, विनम्रता, विद्वता और कवि हृदय गुणों का स्मरण करते हुए अपने श्रद्धा भाव व्यक्त किए। भाजपा के वरिष्ठ नेता विवेक खंडूरी ने डा. त्रिवेदी को महान शिक्षाविद, विद्वान और श्रेष्ठ कवि के रूप में याद किया। शिक्षाविद कमला पंत ने कहा कि त्रिवेदी जी हमारे हृदय में सदैव विराजमान रहेंगे। शिक्षाविद डा. लालिमा वर्मा के अनुसार, डा त्रिवेदी की विद्वता के साथ उनकी सहजता, सादगी भी दुर्लभ है।
विचारक नागेन्द्र दत्त मिश्र ने डा. त्रिवेदी का स्मरण करते हुए उन्हें सहृदय, निश्छल मन, कवि और विद्यावारिधि शिक्षक निरूपित किया। समीक्षक श्री शिव बाबू मिश्र ने डा. त्रिवेदी का स्मरण करते हुए उनकी चर्चित कविता**निराला तुम जीते हो का उल्लेख किया है। स्व श्री गिरिजा शंकर त्रिवेदी की पावन पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए माँ शारदा के वरद पुत्र की स्मृति को शत-शत नमन भी करता हूं।
“कविता जिव्हा पर रही सदा,
शब्दों के अनुपम चित्रकार।
हर मन को मोहा वाणी से,
बन गए स्नेह का पूर्ण सार।”–डा. योगेंद्रनाथ शर्मा अरुण, वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद् ,रुड़की