राजधर्म यही सिखाता है, ‘सबका विकास और सबका विश्वास’ से आगे-पीछे होते हुए चलते चलो, भ्रमित होना छोड़ो। आस्था को मजबूत करो, जनसेवक के साथ चलो और विश्वगुरु बन जाओ, अब इसके लिए रोजी-रोटी भी कुर्बान करनी पड़े तो सौदा सच्चा ही है…
वीरेंद्र सेंगर
देश की तरक्की की रफ्तार, वाकई में बहुत तेज हो गयी है। इतनी तरक्की कि पूछो मत हमारे देश में लोकतंत्र तो लोहालाट हुआ पड़ा है जो स्यापा करते हैं। लोकतंत्र के लिए वे सब निरा पप्पू हैं। इसके सिवाय और कुछ हो ही नहीं सकते, जनाब! और कितना लोकतंत्र चाहिए? कुत्ते भौंकते हैं। गलियों वाले भी कम नहीं भौंकते। किसी ने उन्हें रोका नहीं, न मुर्गे पहले की तरह बांग देते हैं। पहले तड़के चार बजे ही अलार्म दे देते थे। कुक्डुक कूं से जगाते थे। जब से ज्यादा लोकतंत्र हुआ, तबसे इनकी मनमानी बढ़ गयी है। किसी समय कुकडुक कूं का आडियो आने लगता है, पर सरकार ने इनके खिलाफ कुछ किया? बिल्कुल नहीं, क्योंकि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करने वाली जनसेवी सरकार है।यहां कुत्तों, मुर्गों और गधों तक को पूरी स्वतंत्रता है। वे अनुशासन तोड़ते हैं और अपना राजधर्म भूल जाते हैं। फिर भी जमीन से जुड़ी हुई हमारी सरकार सहनशील बनी रहती है। गधे अब सिर्फ कपड़ा धोने वाले कर्मयोगी धोबियों के पास नहीं होते, वे मुश्किल संकरी गलियों में और पहाड़ी जगहों में जमकर बोझा ढोते हैं। जन ट्रांसपोर्ट में महान सेवाएं देते हैं। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अतुलनीय योगदान दे रहे हैं। वे माननीय पीएम की महत्वाकांक्षी योजना आत्मनिर्भर भारत के मजबूत खंभे हैं। वे जब तक ढींचू ढींचू करके कानफोड़ू आडियो भी फैलाते हैं, सरकार कुछ नहीं बोलती है। ध्वनि प्रदूषण के लिए उन्हें दंडित भी नहीं करती है। उन पर मुकदमे भी नहीं लगाती, क्योंकि वो अभिव्यक्ति की संवैधानिक स्वतंत्रता का आदर करती है।लेकिन हमारे देश की विडंबना देखिए, इतनी ममतामयी सरकार को कुछ भ्रमित कांग्रेसी टाइप लोग लोकतंत्र विरोधी करार देते हैं। प्रदर्शन करते हैं, जगह-जगह धरना करते हैं। सरकार इसे इग्नोर करती है तो कहते हैं, ये सरकार गूंगी और बहरी है। हद है! नीति आयोग के एक विद्वान ने महीनों पहले ज्ञान दिया था। ‘टू मच डेमोक्रेसी’ से ही हमारे यहां दिक्कतें बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय नीति आयोग के बड़का ने छटांक भर सच बोल दिया, तो शोर मच गया वो भी टनों में, वो तो हमारी सरकार सच का आदर करने वाली है, सो उससे ‘सत्यवाणी‘ वाले भाई साहब के खिलाफ कुछ नहीं किया, वो कर्तव्य योगी देश को सेवाएं देते रहे। भले लोकतंत्र के पहरुए के नाम पर तमाम अनवरत भौंकते रहो। कितनी एडजस्टिंग सरकार है? वो सबकी भलाई में विश्वास करने वाली है। उसका जगत नारा है, सबका विकास और सबका विश्वास।इस सबके बावजूद देश में ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ वाली मानसिकता का विस्तार हो रहा है। इस वैश्विक संक्रामक बीमारी पर काबू के लिए सरकार कदम उठाती है। नए कानून लाती है, तो आफत? उसे हिटलरी कदम बताए जाते हैं, लो कल्ल लो बात। इन्हें कोसने के लिए भी विदेशी लोगों को सहारा लेना पड़ता है। अरे जनाब! हिटलर ही क्यों? भारतीय भूमि में क्या ऐसे महान प्रशासकों की कमी रही है। हमारे सत्ता पुरुष नकलची बंदर नहीं हैं। वे दुनिया को नयी डगर दिखाने को आएं है। वैश्विक इतिहास भी बनाना है। सियासत में मोदी जी को सुपरब्रांड बनाना है। ये टुकड़े-टुकड़े गैंग हिटलर और मुसोलनी से आगे ही नहीं बढ़ता, ये है देश के असली दुश्मन।उन्होंने पहचान लिया है इन्हें। अब देश को बांग दे रहे हैं। उठो, इन शांति कबूतरों से सावधान रहें। लोकतंत्र की दुहाई देकर ये लोग महान पुरानी भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के खिलाफ हैं। जबकि हम लोग ‘पीछे की ओर लौटो’ की मुहिम चलाकर, सोने की चिड़िया वाले समय काल को वापस लाना चाहते हैं। आम आदमी के सशक्तीकरण के लिए कृत संकल्प हैं। गरीब और वंचित वर्ग में देश प्रेम की अलख जगा रहे हैं। उन्हें बता रहे हैं, पहले रोटी नहीं, राष्ट्रभक्ति का मुद्दा अहम है, अरे! पेट तो कुत्ते, मुर्गे और गधे भी भर लेते हैं। इसी चक्कर में पूरा जीवन लगा देते हैं। तुम तो मनुष्य हो, सो वेदों के रास्ते पर चलो, गीता के उपदेश जीवन में उतारो। देश-सरकार से लेना ही लेना नहीं, देना भी सीखो।यह नया वैश्विक मंत्र है जिससे दुनिया में जन क्रांति आने वाली है। लेकिन इससे देश के स्व धन्य नाम पहरुए, लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। लोकतंत्र की गलत परिभाषा बता रहे हैं। वे चाहते हैं कि सत्ता की ताकत महज मुट्ठी भर लोगों तक सीमित रहे, जबकि आस्थावान सरकार अंत्योदय में विश्वास करती है। समाज के सबसे वंचित वर्ग को भी विकास की धारा में लाने के लिए जुटी है। उसे आस्थावान बनाया जा रहा है, क्योंकि जो नास्तिक हैं वो किसी का भी नहीं हो सकता, ये नया राजधर्म है पूरी दुनिया में ‘हिंदुत्व‘ का डंका बजाना है।फिर आप कहीं ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ की तोड़क मानसिकता का शिकार न हो जाएं। हिंदुत्व कोई खास पूजा पद्धति का नाम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट भी स्पष्ट कर चुका है कि हिंदू धर्म, जीवन शैली का नाम है। नागपुरी संत, कई बार कह चुके हैं कि भारत की धरती पर पैदा हुआ हर इंसान हिंदू है, फिर दिक्कत क्या है? हजारों साल पहले हमारे यहां अणु विज्ञान चरम पर था। प्रत्यारोपण सर्जरी होती थी। गणेश जी की कटी गर्दन पर गजराज का सिर प्रत्यापित किया गया था। करोड़ों लोग ये विश्वास करते हैं। ये उनकी पवित्र आस्था का विषय है। राजधर्म यही सिखाता है, ‘सबका विकास और सबका विश्वास‘ से आगे-पीछे होते हुए चलते चलो, भ्रमित होना छोड़ो। आस्था को मजबूत करो, जनसेवक के साथ चलो और विश्वगुरु बन जाओ, अब इसके लिए रोजी-रोटी भी कुर्बान करनी पड़े तो सौदा सच्चा ही है।