अब किसकी किस्तम में होगा सरकारी सुविधाओंका योग
सीएम के करीबी लोगों को खोजने लगी हैं निगाहेें
खंडूड़ी राज के दर्जनों दायित्वधारी निशंक के राज में हो गये थे रिपीट
देहरादून। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के द्वारा कार्यकर्ताओंं को दिये गये दायित्वों को यकायक समाप्त करने से दायित्वधारी सकते में हैं। उनकी निगाह अब सरकार के अगले कदम पर है कि सरकार उनमें से किसी को फिर से जिम्मेदारी देती है या फिर अपनी पसंद के लोगों को सरकारी सुविधाएं देती है।
सरकार द्वारा आज यह आदेश जारी होने के बाद कुछ दायित्वधारियों से बात की गयी। दायित्वधारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सरकार का फैसला है, इस पर क्या कहा जा सकता है। ऐसा पहले भी होता रहा है, लेकिन ऐन चुनावी वर्ष में यह निर्णय क्या गुल खिलाएगा यह अभी नहीं कहा सकता। एक दायित्वधारी तो यहां तक बोल गये कि पिछली सरकार ने जिन लोगों को दायित्व के लिए चुना था उनमें से अधिकतर अपने—अपने क्षेत्रों मेंं ठीकठाक जनाधार भी रखते हैं। कुछ ही लोग ऐसे होंगे जो जनता के बीच पकड़ न रखते हों। उनका कहना है कि ऐसे में अब चुनाव में इन लोंगों से सरकारी सुविधाएं भोगने के बदले का काम लिया जाता तो पार्टी को बेहतर लाभ मिलता, लेकिन ऐन चुनाव के समय इन लोगो को किनारे कर देने से पार्टी को नुकसान होने की आशंका भी पदों से हटाये गये दायित्वधारी जताने लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि त्रिवेंद्र सरकार ने पार्टीजनों को दायित्व देने में भी काफी समय लिया। उन्होंने करीब—करीब डेढ साल का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद दायित्व बांटने शुरू किये। दो तीन चरणों में त्रिवेंद्र राज में करीब—करीब आठ-नौ दर्जन कार्यकर्ताआें को जिम्मेदारी दी गयी थी। निगमों, आयोगों व परिषदों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के साथ ही सदस्य भी बनाये गये थे। बजट सत्र से ठीक पहले भी सरकार ने 17 लोगों को दायित्व दिये थे। हालांकि इस तरह की चर्चाएं भी हैं कि इन दायित्व धारियों में से अधिकतर को ही दोबारा नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन परिस्थितियों पर गौर किया जाए तो इसकी संभावना अधिक नहीं है। क्योंकि यदि बनाना ही होता तो हटाया क्यों जाता। भाजपा की पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल पर नजर डालें तो जब जनरल खंडूड़ी को हटाकर डा. रमेश पोखरियाल निशंक को राज्य की बागडोर दी गयी थी, तो दर्जनों की संख्या में दायित्वधारियों को रिपीट किया गया था। एक ओएसडी भी रिपीट हुए थे। आज की परिस्थितियों में नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत व भारतीय जनता पार्टी क्या निर्णय लेगी यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन अधिकतर दायित्वधारी प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भ्रमण के दौरान सरकार के चार साल के कार्यों का प्रचार करने में व्यस्त थे और अब उनके घर बैठ जाने की आशंका भी बन रही है।